नागरिकता कानून में अल्पसंख्यक वर्ग के किसी भी व्यक्ति से सिटिजनशिप वापस लेना नहीं है : अमित शाह

हाइलाइट्स

  • अमित शाह ने एक बार फिर से कहा कि नागरिकता कानून अल्पसंख्यक वर्ग के किसी भी व्यक्ति से सिटिजनशिप वापस लेना नहीं है
  • गृह मंत्री ने कहा कि हमने उस नेहरू-लियाकत समझौते को लागू किया है, जिस पर 70 सालों से काम नहीं हुआ था
  • डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भ्रम दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि यह ऐक्ट मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है

मुंबई/नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई इलाकों में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच होम मिनिस्टर अमित शाह ने विपक्षी दलों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने विपक्षी दलों के राष्ट्रपति से मुलाकात कर ऐक्ट को वापस लेने की अपील पर कहा कि मोदी सरकार इस ऐक्ट को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल जो करना चाहें कर लें, लेकिन इसे वापस नहीं लिया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस मसले पर हिंदू और मुस्लिम में भेद पैदा करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के गलत प्रचार के चलते भ्रांति पैदा हुई है। संशोधित ऐक्ट के तहत किसी की नागरिकता वापस लेने का नहीं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। अमित शाह ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते में कहा गया था कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करेंगे। लेकिन, बांग्लादेश, पाकिस्तान में ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा अफगानिस्तान समेत तीनों देशों का राजकीय धर्म इस्लाम है, ऐसे में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है। उनके लिए कानून बनाया तो गलत क्या है।

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