सुपोषित छत्तीसगढ़ और कुपोषण से लड़ने के तमाम दावे खोखले; आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले मे डेढ़ साल की मासूम बच्ची ने दम तोड़ दिया

सरगुजा:

सुपोषित छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और कुपोषण से लड़ने के तमाम दावे आदिवासी (Tribal) बाहुल्य सरगुजा (Sarguja) जिले मे खोखले साबित हो रहे हैं. क्योंकि यहां संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र मे दाखिल बच्चों की इलाज के आभाव मे मौत (Death) हो रही है. ऐसा ही एक दर्दनाक मामला फिर सामने आया है. जहां डेढ़ साल की मासूम बच्ची ने दम तोड़ दिया है और परिजनो का आरोप है कि इलाज के आभाव मे बच्ची की मौत हुई है. वहीं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियो के बयान से भी केन्द्र के संचालक और डाक्टर की लापरवाही की बात स्पष्ट हो रही है.

अम्बिकापुर (Ambikapur) के मेडिकल कालेज (Medical College) कैंपस मे संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र वैसे तो कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिहाज से खोला गया था. लेकिन केन्द्र की अनदेखी और बेहतर आहार की कमी के कारण केन्द्र में बच्चे की बेहतर देखभाल नहीं हो पा रही है. ऐसे में इस केन्द्र में एक मासूम की मौत हो जाना केन्द्र के बेहतर संचालन पर सवाल खड़ा करने के लिए काफी है. दरअसल जिले के लुण्ड्रा क्षेत्र के सेमरडीह गांव की रहने वाले एक परिवार की डेढ़ साल की बच्ची सिमरन कुपोषण की शिकार थी. जिसके बाद बीते 3 सितंबर को महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारियों ने बच्ची की बेहतरी के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र लाया था. लेकिन शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात मासूम सिमरन की तबियत बिगड़ी, लेकिन परिजनो की कहने पर भी उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जाया गया और उसकी मौत हो गई.

डॉक्टर पर भी आरोप

लिहाजा अब परिजन केन्द्र के संचालक डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. परिजन उबलाल का कहना है कि इलाज के आभाव मे सिमरन की मौत हुई है. सिमरन की मौत की खबर किसी को पता ना चले . इसलिए उसकी मौत के बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप कर उन्हें आनन फानन मे उनके गांव रवाना कर दिया गया था. सरगुजा की महिला एंव बाल विकास अधिकारी बसंत मिंज का कहना है कि गले मे कुछ फंस जाने की वजह से सिमरन की मौत हो गई थी

उठ रहे ये सवाल

सरपंच गजेन्द्र सिंह टेकाम का कहना है कि बच्ची की मौत की इस तरह से मौत होने के बाद ये सवाल उठता है कि डेढ़ साल की बच्ची के गले मे आखिर क्या फंस गया था कि उसकी मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक जिस लुण्ड्रा ब्लाक की रहने वाली इस बच्ची की मौत हुई है. उस क्षेत्र में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की पहचान हुई है. लेकिन सिमरन की मौत के बाद क्षेत्र और गांव के जनप्रतिनिधि इस केन्द्र में बच्चा भेजने से भी डरने लगे हैं.

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