भिलाई-चरोदा नगर निगम में 21 साल बाद कांग्रेसी महापौर, निर्मल कोसरे बनेंगे महापौर वहीं कृष्णा चंद्राकर होंगे सभापति

भिलाई: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह क्षेत्र भिलाई-चरोदा नगर निगम में 21 साल बाद कांग्रेस की शहर सरकार बनी। दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व गनियारी के पार्षद निर्मल कोसरे की भिलाई-चरोदा निगम के पहले कांग्रेसी महापौर के रूप में ताजपोशी हुई। उन्हें 24 पार्षदों का समर्थन मिला। वहीं भाजपा की प्रत्याशी नंदिनी जांगड़े को 16 पार्षदों के मत मिले। सभापति चुनाव में सिरसा भाठा के पार्षद कृष्णा चंद्राकर सभापति बने। उन्होंने भाजपा के चंद्रप्रकाश पांडेय को हराया। कृष्णा को 24 तो चंद्रप्रकाश को 16 पार्षदों का समर्थन मिला। एक को छोड़ बाकी सभी निर्दलीयों ने कांग्रेस का समर्थन किया। जीत के बाद कांग्रेसियों ने जमकर आतिशबाजी की।  

बता दें कि निकाय चुनाव में भिलाई-चरोदा निगम में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन यह तय था कि महापौर कांग्रेस का ही होगा। भिलाई-चरोदा नगर निगम में कांग्रेस के 19, भाजपा के 15 तथा छह निर्दलीय ने चुनाव जीते थे। भारतीय जनता पार्टी को कोरिया जिले के बैकुंठपुर की तरह कुछ उलटफेर की उम्मीद थी, लेकिन उनकी उम्मीदें धरी की धरी रह  गई। भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभापति को लेकर क्रास वोटिंग की उम्मीद थी। कुछ निर्दलीयों ने साथ देने की बात कही थी, लेकिन ऐन वक्त पर पलट गए। परिणाम आते ही भाजपा में मायूसी छा गई तो वहीं कांग्रेस समर्थकों का उत्साह दोगुना हो गया। 

दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा थी दांव पर 
बता दें कि यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह क्षेत्र है। पीएचई मंत्री गुरु रूद्र कुमार यह विधानसभा क्षेत्र है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का गृह जिला है। बैकुंठपुर नगर पालिका की तरह सियासी उलटफेर रोकने कांग्रेस संगठन तैनात रही। गोपनीय स्थानीय से सभी कांग्रेसी पार्षदों को लाया गया। इसके बाद जिला कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने सभी पार्षदों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। दोपहर 1:00 से 2:00 के बीच पार्षदों ने महापौर व सभापति के लिए मतदान किया। 3:00 बजे मतगणना के बाद महापौर व सभापति की घोषणा की गई। बता दें कि सन 2000 से कांग्रेस कभी यहां शहरी सरकार नहीं बना पाई थी। सीधे चुनाव में कभी निर्दलीय तो कभी भाजपा से हार का सामना करना पड़ता था। इस बार पार्षदों के द्वारा चुने गए शहर सरकार में कांग्रेस ने बाजी मार ली।

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