RAIPUR | छत्तीसगढ़ के साधारण गोबर की असाधारण गाथा राजपथ पर होगी बयान, राष्ट्रपति, पीएम और विदेशी मेहमान परेड में जानेंगे गोधन योजना के बारे में

रायपुर: गोबर खरीद कर पूरे देश की सोच बदलने और ग्रामीणों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने वाली छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की कामयाबी की मिसाल इस बार गणतंत्र दिवस परेड के दौरान दिखेगी। इस कामयाबी के साक्षी बनेंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी और तमाम विदेशी मेहमान। दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की झांकी को गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली परेड में शामिल किया गया है। रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने  राज्य की झांकी को हरी झंडी दे दी है। समिति ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर बनाई गई थीम – इंडिया, न्यू आइडिया के तहत इसका चयन किया है। इस बार मात्र 12 राज्यों को ही राजपथ पर अपने राज्य की झांकी के प्रदर्शन का अवसर मिला है, जबकि दावा सभी राज्यों ने किया था।

गोधन न्याय योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सफल और महत्वाकांक्षी योजना है। संसद की स्थायी समिति इस योजना को पूरे देश में लागू करने की अनुशंसा कर चुकी है। राज्य की यह झांकी ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ अनेक वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिए विकल्प प्रस्तुत करेगी।

क्या है गोधन न्याय योजना?
छत्तीसगढ़ के साढ़े सात हज़ार से अधिक गौठानों में 2 रुपये किलो की दर से गोबर ख़रीदकर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उसका उपयोग विभिन्न उत्पादों को बनाने की ये योजना है। स्वच्छता, क्लाइमेट चेंज और स्थानीय स्तर पर रोजगार के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराने की इस योजना को देशभर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का एक विकल्प माना जा रहा है।

यह है झांकी में विशेष
झांकी के पहले हिस्से में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उन्हें विक्रय के लिए गोठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया जाएगा। ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी, जो हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए होंगी। इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया जाएगा। महिलाओं के चारों ओर फूलों के गमलों की सजावट की जाएगी, जो गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक होंगे। नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की जाएगी। ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करेंगे।

आर्थिक विकास की भी होगी झलक
झांकी के पिछले हिस्से में गोठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया जाएगा। इसमें दिखाया जाएगा कि नई तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं किस तरह स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं। गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं। मध्य भाग में दिखाया जाएगा कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा रहा है। सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को राज्य के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। 

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