BALOD | इस दूल्हे ने बैलगाड़ी पर धूमधाम से निकाली बारात, लोगों की थम गई निगाहें, दूल्हे ने बताई ये वजह

बालोद: आज के आधुनिक युग में हमारे बड़े बुजुर्ग अक्सर ये बताते हैं कि उनकी बारात या उनके बाप दादाओं की बारात बैलगाड़ी में जाती थी पर जब आज की युवा पीढ़ी को लगता है। कि ऐसा कैसे होता होगा आधुनिक जमाने में लोग बारात के लिए बड़ी बड़ी लग्जरी गाड़ियां देखते हैं। तो बालोद जिले के ग्राम मालीघोरी में बैलगाड़ी से एक युवक की बारात निकली तो देखने वालों की भीड़ उमड़ गई। दरअसल ग्राम मालीघोरी (दुधली) में अनोखी बारात निकली। जिसे देखने के लिए गांव में उमड़ पड़े लोग। पुरानी परंपरा को कायम करने के लिए दूल्हे ने यह फैसला लिया। जिसमें खुशी-खुशी परिवार वाले भी शामिल हुए।

पूछने पर दूल्हे ने क्या बताई वजह?
वहीं मालीघोरी (दुधली) निवासी राकेश देशमुख का विवाह दूसरे मोहल्ले के निर्मला देशमुख के साथ तय हुआ है, जिसमें बारात जाने के लिए दूल्हा राकेश देशमुख बैलगाड़ी पर बैठकर बारात जाने निकले तो लोग देखते रह गए। बारात मालीघोरी (दुधली) के एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में ही गई। इस पर दूल्हे का कहना है कि यह छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। जिसे निभाना चाहिए. खासकर तब जब परंपरा को निभाना संभव हो, लेकिन आजकल के चमक दमक में ही उलझे हुए हैं।

बैलगाड़ी बारात की चर्चा पूरे जिले में हुई
21वीं सदी में निकली इस बैलगाड़ी बारात की चर्चा पूरे जिले में है। राकेश देशमुख ने बताया कि छत्तीसगढ़ की परंपरा को संजोए रखने का विचार मेरे मन में आया। इसलिए परंपरा के साथ विवाह करने की सोची. मेंरे इस फैसले से पूरा परिवार और यहां तक कि रिश्तेदार भी खुश हुए, खुशी-खुशी बारात में भी गए। वहीं बारात देखकर सड़क से गुजरने वाले लोग भी 5 मिनट रुककर देखने लगे सबसे ज्यादा उत्साह युवा पीढ़ी में देखने को मिला क्योंकि उनके लिए ये एकदम नया था। दूल्हे ने बताया कि गांव में बारात निकली तो जमकर स्वागत किया गया। पूरा गांव देखने के लिए उमड़ पड़ी। गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि लगभग 35-40 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में बैलगाड़ी से ही बारात जाते थे। उसके बाद से यह परंपरा खत्म सी हो गई है। इसके बाद नई टेक्नालॉजी में लोग अब गरीब से गरीब लोग भी कार से बारात लेकर पहुंचते हैं।

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