Tharoor Vs Gehlot | कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव क्या राहुल गांधी नहीं लड़ेंगे? क्या दो दशकों बाद गैर गांधी परिवार से बनेगा अध्यक्ष? आखिर क्या है सोनिया गांधी के निष्पक्षता का मतलब

नई दिल्ली: एक ओर भारत जोड़ो यात्रा शुरू है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर काफी गहमागहमी का माहौल है। एक के बाद एक राज्य लगातार राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव परित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि शायद वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि उनकी ओर से अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। वहीं कांग्रेस सांसद और सीनियर नेता शशि थरूर ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि आंतरिक चुनाव संगठन के लिए अच्छे हैं और वह इस प्रक्रिया में ‘तटस्थ भूमिका’ निभाएंगी।

सोनिया गांधी के इस फैसले का क्या मतलब
इस टिप्पणी की भी अलग-अलग व्याख्या की जा रही है और कुछ लोगों का मानना है कि उनके ‘तटस्थ’ होने से ऐसा लगता है कि राहुल गांधी पार्टी की बागडोर वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में संभव है कि चुनाव हो। हालांकि राहुल ने खुद अभी तक अपने फैसले की घोषणा नहीं की है, जबकि राज्य इकाइयों से दबाव बढ़ रहा है कि उन्हें पदभार संभालना चाहिए। जिससे एक अजीब स्थिति पैदा हो गई है और काफी हद तक अनिश्चितता भी है।

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी चुनाव को लेकर खुश हैं और उन्होंने कहा कि वह इसमें एक तटस्थ भूमिका निभाएंगी। उनका मानना है कि चुनावों से पार्टी में अधिक रुचि पैदा होगी और पार्टी के लिए अच्छा है। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी विदेश यात्रा से लौटने के बाद पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अपनी राय रखी है।

शशि थरूर की एंट्री से चुनाव होगा दिलचस्प
इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को एक और संकेत दिया कि वह अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो चुनाव और भी दिलचस्प होगा क्योंकि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस के आला नेताओं की पहली पसंद हैं। इन दोनों के अलावा भी कुछ नेताओं का नाम स्टैंडबाई लिस्ट में है। जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, केसी वेणुगोपाल, दिग्विजय सिंह का नाम शामिल है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि ‘थरूर बनाम गहलोत’ का आमना-सामना हो सकता है।

थरूर ने सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात की। कुछ समय पहले थरूर सहित कुछ नेताओं ने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण को लेटर लिखकर कांग्रेस डेलिगेट्स की सूची सार्वजनिक करने की मांग की थी। थरूर ने सोमवार को पार्टी की ओर से चल रहे एक याचिका अभियान की पैरवी भी सोशल मीडिया पर की। जिसमें यह मांग की गई है कि अध्यक्ष पद के हर उम्मीदवार को यह संकल्प लेना चाहिए कि निर्वाचित होने पर वह उदयपुर चिंतन शिविर घोषणा में अपनाए गए संगठनात्मक सुधारों को लागू करेंगे।

राहुल की ‘ना’ के बाद भी प्रस्ताव पर प्रस्ताव
राहुल गांधी के बारे में पहले से कहा जा रहा था कि वह इस पद के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन राज्य इकाइयों द्वारा उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने के प्रस्तावों के मद्देनजर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार और जम्मू-कश्मीर के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात भी इस लिस्ट में शामिल हो गए। आने वाले दिनों में यह लिस्ट और लंबी होगी। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राज्यों के प्रस्ताव का चुनाव प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने कहा है कि नामांकन प्रक्रिया 24 सितंबर से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शुरू होगी। चर्चा यह भी थी कि सोनिया गांधी ने राज्य के प्रस्तावों के मद्देनजर मिस्त्री से बात की थी।

एआईसीसी के पदाधिकारियों जेपी अग्रवाल और अविनाश पांडे ने भी सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात की, जबकि राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। थरूर ने हाल के दिनों में अधिक से अधिक लोगों के चुनाव लड़ने की बात कही थी और यह माना जा रहा है कि यदि गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं लड़ रहा है तो वह मैदान में उतर सकते हैं।

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