दुर्ग जिला प्रशासन मुस्तैद : प्रवासी श्रमिकों को घर वापसी के दौरान किसी तरह की दिक्कत नही

रमेश गुप्ता

दुर्ग: दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को यात्रा के दौरान किसी तरह से खाने-पीने की दिक्कत न हो और उचित ट्रांसपोर्टेशन मिले, इसके लिए शासन ने महत्वपूर्ण स्थलों पर श्रमिक सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों में नाश्ते के साथ सूखा राशन दिया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। उल्लेखनीय है कि अंजोर नाके पर, गंडई नाके पर और प्रत्येक नगर निगम की सीमा पर श्रमिक सहायता केंद्रों का संचालन किया जा रहा है जहां श्रमिकों की सभी तरह की परेशानियों का हल करने निर्देश दिए गए हैं। अलग-अलग रूट में बसों एवं अन्य छोटे वाहनों के माध्यम से श्रमिकों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की कार्रवाई की जा रही है।

केस 1-

ग्राम खर्रा के निवासी देवनारायण राय नागपुर के पास के गांव में ईंटभट्ठे में काम करते हैं। लाकडाउन के दौरान वहां पंचायत ने उन्हें खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई। उनके साथ 28 लोग और भी इसी तरह से ईंटभट्ठे में काम करते थे। लाकडाउन के तीसरे चरण में जब यह सुना कि मजदूरों के लिए घर जाने में लगी पाबंदियां हटा ली गई हैं उन्होंने भी निर्णय किया कि अब घर चलेंगे। मालवाहक गाड़ियों में लिफ्ट लेकर वो बार्डर पहुंचे। इसके बाद कभी लिफ्ट मिल गई तो कभी थोड़ा सफर पैदल तय कर लिया। भिलाई-चरौदा में बने श्रमिक सहायता केंद्र में इन सभी 28 मजदूरों को नाश्ता कराया गया। फिर उन्हें सूखा राशन उपलब्ध कराया गया।

कलेक्टर अंकित आनंद एवं जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार के निर्देश पर इन्हें बलौदाबाजार में इनके घरों तक पहुंचने के लिए बस की व्यवस्था की गई। उनकी सुरक्षित वापसी हुई या नहीं, यह जानने के लिए श्री राय के नंबर पर फोन लगाया गया। उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में बने क्वारंटीन सेंटर में पहुंच गए हैं। पूरे रास्ते भर में जिला प्रशासन के श्रमिक सहायता केंद्रों में जिस तरह से सहायता मिली, वो हमेशा याद रहेगी। इसके बगैर छोटे बच्चों को साथ लेकर अपने घर पहुंचना मुश्किल हो जाता।

केस 2-

गोपाल महतो मुंबई में मजदूरी करते हैं। वो झारखंड जाने निकले। गोपाल ने बताया कि रास्ता लंबा था और मन में बहुत दुविधा थी लेकिन अब तक बहुत कुशलता से पहुंच गया हूँ। छत्तीसगढ़ राज्य का अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि बैरियर में मेरी मेडिकल जांच की गई। इसके बाद श्रमिक सहायता केंद्र में मैंने नाश्ता किया। फिर दुर्ग में श्रमिक सहायता केंद्र में रूका। यहां मुझे नाश्ता कराया गया, रास्ते के लिए सूखी खाद्य सामग्री दी गई। लंबी दूरी में जब सारे रेस्टारेंट बंद हैं इस तरह शासन द्वारा सहायता केंद्र खोला जाना बहुत अच्छा है।

केस 3-

अंजोरा नाके में जिला प्रशासन ने दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों के लिए बस उपलब्ध कराई। वहीं एडीशनल एसपी रोहित झा एवं सीएसपी विवेक शुक्ला ने नाश्ते के पैकेट श्रमिकों को दिए। इन सभी को अपने गृह ग्राम तक छोड़ने के लिए बस का इंतजाम किया गया। वर्धा में चना तोड़ने का काम करने श्यामलाल ने बताया कि चना तोड़ने गए थे लाकडाउन लग गया। भरोसा था कि अपने प्रदेश की सीमा तक पहुंच गए तो आगे भी अपने लोगों की मदद से पहुंच जाएंगे। अब यहां बस मिल गई है आगे के सफर की कोई दिक्कत नहीं रही।

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