बोरेन्दा की बाड़ी में ग्रामीण महिलाओं के सपनों के बीज अंकुरित हो रहे; लॉक डाउन में उगाई भाजियों से बाड़ी सज गई

रमेश गुप्ता
दुर्ग: लॉक डाउन के दौरान जब सभी ओर सन्नाटा छाया था। बोरेन्दा की बाड़ी में ग्रामीण महिलाओं के सपनों के बीज अंकुरित हो रहे थे। 45 दिनों तक इन्होंने कड़ी मेहनत की। इनके साथ ही ग्रामीण जनों ने भी अपने गांव में नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के सपने को मूर्त रूप देने की ठानी। सबकी मेहनत साकार हुई और कई तरह की भाजियों से बोरेन्दा की बाड़ी सज गई। अभी भाजी की पहली फसल काटी गई। चेज, चैलाई, पटवा भाजी गांव के हर घर में पकी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने शुरू की गई नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना में सरकार की दूर दृष्टि और प्रबंधन काबिले तारीफ है। इस योजना के कारण कोविड 19 की राष्ट्रीय आपदा के समय भी लोगों को रोजगार मिल रहा है।

जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार ने बताया कि लॉक डाउन में आजीविका से संकट से निपटने में नरवा गरवा घुरुआ बाड़ी योजना के सभी घटकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। हमने गौठान (गरवा और घुरुआ), जल संरक्षण (नरवा) और बाड़ी सभी क्षेत्रों में मनरेगा के माध्यम से लोगों को रोजगार दिया। बाड़ी योजना के माध्यम से पौष्टिक और ऑर्गेनिक सब्जियाँ उगाई जा रही हैं, ताकि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई जीती जा सके और महिलाओं को आर्थिक सबलता मिले।

पाटन जनपद पंचायत के बोरेन्दा गांव की महिलाएं सामुदायिक बाड़ी के माध्यम से ऑर्गेनिक सब्जियाँ उगा रही हैं। इससे इस गाँव के महिला समूहों को काम और आर्थिक लाभ मिला और गांव वालों को ताजी सब्जियाँ

बोरेन्दा के रोजगार सहायक राधेश्याम साहू ने बताया कि सीईओ जनपद मनीष साहू ने जानकारी दी कि जनपद पंचायत द्वारा बाड़ी विकास में पूरा सहयोग किया जाएगा। इसके बाद गांव के सरपंच टूकेश्वर साहू और सचिव बलदाऊ साहू केसरा ग्राम की सामुदायिक बाड़ियों को देखने गए। वापिस आकर हमने महिला समूहों को बताया कि योजना अच्छी है। अपने ही गांव में काम करना है जिसके लिए पूरा सहयोग सरकार करेगी।

घास जमीन में किया बाड़ी का विकास, जिसमें मनरेगा के तहत मिला ग्रामीणों को काम

सामुदायिक बाड़ी के विकास के लिए जमीन की तलाश शुरू की गई। जहां पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो। गांव की बाहरी सीमा से लगी हुई करीब साढ़े सात एकड़ घास जमीन में बाड़ी बनाने का काम शुरू किया गया। इसके लिए मनरेगा के तहत गांव के श्रमिकों को भी काम दिया गया। महिला समूहों से बातचीत करने के बाद 11 महिला समूह तैयार हुए जिसके बाद सभी महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। बाड़ी बनाने का काम 16 मार्च से शुरू हुआ और 1 माह से भी कम समय में बाड़ी तैयार कर ली गई। उद्यानिकी विभाग द्वारा निःशुल्क रूप से सब्जियों की पौध (थरहा) और बीज उपलब्ध कराया गया। इस बाड़ी में टमाटर, बैगन, लौकी, करेला, टिंडा के पौधे लगाए गए हैं। मौसमी भाजियों जैसे चेच भाजी, अमारी भाजी, खेड़ा भाजी आदि की एक फसल भी तैयार हो चुकी है। ये सब्जियां पूरी तरह ऑर्गेनिक हैं। यहाँ गौठान में निर्मित गोबर खाद, नाडेप टंकियों और वर्मी कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग किया जाता है। किसी भी प्रकार का रसायन उपयोग में नहीं लाया जाता।

11 महिला समूह कर रहे सब्जी का उत्पादन बाड़ी में काम करते समय महिलाएं सोशल डिस्टेंसिन का रखती हैं ध्यान

सब्जी उत्पादन में गांव के 11 स्व सहायता समूह लगे हुए हैं। जानकी समूह की अध्यक्ष धान बाई ने बताया कि वर्तमान में लौकी, टिंडा, करेला, बैंगन, बरबट्टी, चुरचुटीया आदि की फसल ले रही हैं।
मेरे राम समूह की रेशमी बताती हैं कि सभी महिलाएं सुबह और शाम का समय बाड़ी को देती हैं। लॉक डाउन के कठिन समय में सब महिलाओं ने मिल जुलकर काम। किया जिसका नतीजा आज सामने है। जय माँ दुर्गा समूह की सुनीता ने बताया कि इस योजना से जुड़कर अच्छा लग रहा है। ताजी सब्जियाँ भी मिल रही हैं और आमदनी भी हो जाती है। जय माँ ज्वाला समूह की केवरा साहू ने अपना अनुभव बताया कि इस नई बीमारी का नाम सुनकर सभी डरे थे, लग रहा था कि लॉक डाउन में सब काम बंद हो जाएगा तो क्या करेंगे हम लोग। लेकिन जनपद पंचायत द्वारा बताया गया कि डरना नहीं है सावधानी रखना है। सब्जियाँ उगाने के लिए प्रशिक्षण भी मिला। बाड़ी में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का अनिवार्य रूप से पालन करवाया जाता है। महिलाएं भी जागरूक हैं सेनेटाइजेशन का भी पूरा ख्याल रखती हैं।

कोल्ड स्टोरेज का भी होगा निर्माण महिलाओं के रोजगार की स्थायी व्यवस्था

अभी की व्यवस्था के तहत गांव के लोग सीधे बाड़ी में संपर्क कर सब्जियाँ खरीद सकते हैं। जल्द ही बोरेन्दा में सब्जियाँ रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाया जाएगा। जहाँ आस पास में गांव से सब्जियाँ एकत्रित की जा सकेंगी। सब्जियों के परिवहन और बिक्री की पूरी व्यवस्था भी जनपद पंचायत द्वारा की जाएगी। इस तरह महिलाओं की आय के स्थायी संसाधन तैयार किए जा रहे हैं। अगले दो साल के लिए यह बाड़ी इन महिलाओं को दी गई है जिसकी मियाद आने वाले समय में बढ़ाई जा सकेगी।

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