लॉकडाउन 3.0 | कहीं ये श्रमवीर कोरोना से पहले भूख-प्यास, प्रताड़ना और निमोनिया से न मर जायें – छत्तीसगढ़ से अब तक की कुछ तस्वीरें…

रायपुर : मौसम का कहर देखकर अब तो डर लगता है कहीं ये श्रमवीर कोरोना से पहले भूख-प्यास, प्रताड़ना और निमोनिया से न मर जायें । दुर्भाग्यवश, इनकी बेबसी पर सबकी खामोशी है।

कोरोना महामारी के फैलाव और लॉकडाउन की बढ़ती मियाद के बीच भारत में श्रमिकों के हालात और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के साथ-साथ श्रम रोजगार से जुड़ी राजनीतिक आर्थिकी के कुछ अनछुए और अनदेखे अध्याय भी खुल गए हैं। पहली बार श्रम शक्ति की मुश्किलें ही नहीं, राज्यवार उससे जुड़ी पेचीदगियां भी खुलकर दिखाई पड़ने लगी हैं।

एक साथ बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों का जत्था अपने घरों को लौटने के असाधारण फैसले के जवाब में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के पास कोई ठोस कार्रवाई या राहत प्लान अब तक नहीं दिखा है, हाँ एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार ने घर लौटते मजदूरों को राहत देने के कई बयान जारी किये हैं मगर बिन सहारे घर लौटते मज़दूर पूछने पर सरकारों को सिर्फ कोसते हैं। प्रवासी मजदूरों के बीच जान बचाने और अपने घरों लौट जाने की देशव्यापी दहशत के बीच सरकारों की मशीनरी काफी असहाय नज़र आई।

आर्टिकल एवं तस्वीरें
सत्यप्रकाश पाण्डेय
सीनियर जर्नलिस्ट एवं वाइल्डलाइफ़ फोटोजर्नलिस्ट
(रायपुर,छत्तीसगढ़)

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