RAIPUR | विधानसभा व लोकसभा में दावेदारी करने वाले दावेदार लड़ रहे पार्षद चुनाव, कांग्रेस-भाजपा का गणित बिगाड़ रहे बागी

रायपुर: छत्तीसगढ़ के 10 जिलों के 15 नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। नाम वापसी का आज आखिरी दिन है, लिहाजा भाजपा-कांग्रेस के नेता बागियों को मनाने में जुटे हैं। इस चुनाव में एक रोचक बात भी सामने आई है। कुछ ऐसे प्रत्याशी भी मैदान में हैं, जिन्होंने कभी लोकसभा व विधानसभा में अपनी दावेदारी ठोकी थी। ऐसे दिग्गज नेताओं को लोकसभा व विधानसभा में मौका नहीं मिला था, लेकिन पार्टी ने उन्हें पार्षद चुनाव लड़ने मैदान में उतार दिया है। भाजपा-कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय दल के नेता जो सांसद और विधायक बनने का ख्वाब संजोए थे, लेकिन अब पार्षद चुनाव लड़कर ही संतोष करना पड़ रहा है। कई ऐसे नेता भी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं, जो हमेशा किंगमेकर की भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें पार्षद के लायक भी नहीं समझा है।  

लोकसभा व विधानसभा की तरह अब नगरीय निकाय चुनाव भी अहम हो गए हैं। सत्ताधारी पार्टी जहां अधिक से अधिक निकायों में अपना वर्चस्व बनाना चाहती है तो वहीं विपक्षी पार्टी भी कमर कस ली है। रायपुर के नगर निगम बीरगांव, दुर्ग जिले के नगर पालिक निगम भिलाई, नगर पालिक निगम रिसाली व भिलाई-चरोदा निगम, जामुल नगर पालिका, नगर पालिका परिषद बैकुंठपुर, नगर पालिका परिषद सांरगढ़, शिवपुर-चरचा नपा और खैरागढ़ नपा में सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। पालिकाध्यक्ष व नगर पंचायत के अध्यक्ष लड़ चुके नेताओं का मोह भी नहीं छूट रहा है। कई ऐसे नेता पार्षद चुनाव में उतर आए हैं। भाजपा-कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव जीताने की जिम्मेदारी सौंपी है। 

कई नेताओं को पार्टियों ने पार्षद के लायक भी नहीं समझा 
इस नगरीय निकाय चुनाव में कई नाम ऐसे हैं, जिन्हें पार्टियों ने पार्षद लायक भी नहीं समझा है। वार्डों से दावेदारी करने वाले कई बड़े चेहरों को भाजपा व कांग्रेस ने टिकट ही नहीं दिया। जिनका टिकट कटा इनमें ऐसे भी चेहरे हैं, जो कभी विधानसभा व लोकसभा का चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ चुके हैं। प्रबल दावेदारी के बाद भी ऐसे लोगों को बड़ी पार्टियों ने कोई भाव नहीं दिया। अब वे निर्दलीय के रूप में फिर नामांकन दाखिल का जीत का दावा कर रहे हैं। ऐसे प्रत्याशी भाजपा-कांग्रेस को धूल चटाने की बात कर रहे हैं। नाम वापसी का आज अंतिम दिन है, लिहाजा उन्हें मनाने का दौर भी चल रहा है। 

कांग्रेस ने मंत्रियों तो भाजपा ने विधायकों को सौंपी जिम्मेदारी 
15 नगरीय निकायों में हो रहे चुनाव को भाजपा-कांग्रेस ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। भाजपा ने 15 नगरीय निकायों में चुनाव प्रभारी के रूप में जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी हैं, उनमें भाजपा के सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री शामिल है। यह सभी प्रदेश भाजपा के बड़े चेहरे हैं। इस चुनाव में अधिक संख्या में पार्षद जीताने और उन्हें तोड़फोड़ से बचाने की चुनौती होगी। वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस ने एक-एक निकायों में मंत्रियों और विधायकों को जीत की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेता सभी निकायों में जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन बागियों ने रणनीतिकारों की चिंता बढ़ा दी है।

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