GANESH UTSAV SPECIAL: अष्टभुजा रूप में विराजमान है भगवान गणेश की 500 वर्ष पुरानी मूर्ति, देखिये यहाँ

बुजुर्ग कहते हैं यहां भगवान गणेश की अष्टभुजा मूर्ति 500 वर्ष पूर्व जमीन के नीचे से प्रकट हुई थी।

दमोह / मध्य प्रदेश:

दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखंड अंतर्गत आने वाले तेजगढ़ गांव में स्थापित गणेश मूर्ति दुर्लभ है। इसकी आठ भुजाए हैं। इस प्रकार की मूर्ति और कहीं देखने को नहीं मिलती। अनुमान है कि यह मूर्ति करीब पांच सौ साल पुरानी है।

जिला मुख्यालय से 35 कि मी दूर तेजगढ़ गांव में भगवान गणेश की अति प्राचीन यह मूर्ति मंदिर में स्थापित है। यहां भगवान अष्टभुजा के रूप में विराजमान हैं। आज तक इस मूर्ति के बारे में कोई पता नहीं लगा पाया कि आखिर यह मूर्ति यहां कैसे आई। गांव के बुजुर्गों की अपनी अलग-अलग राय है। बुजुर्ग कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया कि यहां भगवान गणेश की अष्टभुजा मूर्ति 500 वर्ष पूर्व जमीन के नीचे से प्रकट हुई थी। इसे तेजगढ़ के राजा तेजी सिंह ने गणेश घाट के समीप स्थापित कराया था। उसी समय से इस घाट का नाम भी गणेश घाट पड़ गया।

500 वर्ष प्राचीन है मूर्ति

गाँव के कुछ बुजुर्गो ने मीडिया को बताया कि यह मंदिर ऐतिहासिक है और मूर्ति काफी प्राचीन है जिसकी जानकारी उन्हें भी बुजुर्गों से मिली है। श्याम सुंदर यादव ने बताया कि 500 साल पहले ओरछा के हरदोल का जन्म हुआ था और उसी समय राजा तेजी सिंह का भी जन्म हुआ और उन्हीं के राज में यह मूर्ति स्थापित की गई थी।

मंदिर से नीचे जाने लगी थी मूर्ति

शिक्षक महेंद्र दीक्षित ने बताया कि 80 वर्ष पहले मूर्ति नीचे की ओर धंसने लगी। तब फतेहपुर गांव के कोई संत यहां आए थे। इसके बाद मूर्ति को बाहर निकाला गया था। मूर्ति के ऊपर बड़ी मात्रा में सिंदूर निकला था जिसे नर्मदा में बहाया गया था और फिर सभी के सहयोग से नए मंदिर को आकार दिया गया।

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