बाजार में व्यापारियों ने गोभी की कीमत 1 रूपये किलो लगायी, गुस्साए किसान ने सड़क पर ही फेंक दी 10 क्विंटल गोभी

पीलीभीत। कृषि उपज मंडी समिति के परिसर में एक किसान ने दुखी होकर अपनी गोभियां सड़क पर फेंक दीं। लाइसेंस प्राप्त व्यापारी उसे एक रुपये किलो के हिसाब से उसकी फूलगोभियों की कीमत दे रहे थे। उसके खेतों में 10 क्विंटल गोभी हुई थी लेकिन उसे अपनी लागत की रकम भी नहीं मिल रही थी। किसान ने कहा कि एक रुपये किलो गोभी बेचने से अच्छा उसने सोचा कि वह इन्हें सड़क पर ही फेंक दे ताकि जरूरतमंद लोग उसे फ्री में ले जा सकें।

मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत का है। यहां जहानाबाद के रहने वाले मोहम्मद सलीम को व्यापारियों ने एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोभी खरीदने की पेशकश की। मोहम्मद सलीम ने बताया कि वह गोभियों को ट्रांसपोर्ट करके एपीएमसी परिसर तक लाए। उनकी गोभियों की जो रकम दी जा रही है उससे तो ट्रांसपोर्ट तक का खर्च हीं निकल पा रहा था। इसलिए वह बहुत दुखी हुए।

मोहम्मद सलीम ने बताया, श्मेरे पास आधा एकड़ जमीन है जहां मैंने फूलगोभी की खेती की थी और बीज, खेती, सिंचाई, उर्वरक आदि पर लगभग 8,000 रुपये खर्च किए थे। इसके अलावा, मुझे कटाई और परिवहन लागत 4,000 रुपये का वहन करना पड़ा। गोभी की खेती से लेकर बाजार तक लाने में उसके 12,000 रुपये खर्च हुए।श्

सलीम ने कहा, श्वर्तमान में फूलगोभी का खुदरा मूल्य 12 से 14 रुपये प्रति किलोग्राम है और मैं अपनी उपज के लिए कम से कम 8 रुपये प्रति किलोग्राम की उम्मीद कर रहा था। जब मुझे मात्र 1 रुपये प्रति किलो की पेशकश की गई, तो मैं बहुत दुखी हुआ। मैं इसे मंडी से वापस ले जाता तो उसमें और रकम खर्च होती। ऐसे में मेरे पास गोभियों को सड़क पर फेंकने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा था।श्

यह पूछे जाने पर कि अगली उपज के लिए वह आगे कैसे निवेश करेगें? तो सलीम ने कहा कि वह अब ज्यादा ब्याज पर पर्सनल लोन लेने के लिए बाध्य है क्योंकि वाणिज्यिक बैंक गरीब किसानों को लोन नहीं देना चाहते हैं। कई चक्कर काटने के बाद किसानों को कोई न कोई बहाना बनाकर लोन देने से इनकार कर दिया जाता है।

सलीम ने कहा कि नुकसान से उनके परिवार को बहुत क्षति होगी। घर में 60 वर्षीय मां, छोटे भाई, पत्नी और दो स्कूल जाने वाले बच्चों का वह अकेले पालन-पोषण करते हैं। उनका परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया है। उन्होंने कहा कि वह अब अपने भाई के साथ मिलकर मजदूरी करेंगे ताकि घर के खर्चे पूरे हो सकें।

एपीएमसी के सचिव विजिल बाल्यान ने कहा, श्हम सब्जी फसलों की खरीद मूल्य के संबंध में कोई भी नियम लागू करने में असहाय हैं क्योंकि यह राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के तहत नहीं आता है।श् बाल्यान ने कहा कि सब्जियों की कीमतें आम तौर पर आपूर्ति की मात्रा से नियंत्रित होती हैं, हालांकि व्यापारियों सब्जियों की बिक्री से ज्यादा फायदा खुद उठाना चाहते हैं।

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