RAIPUR | विधायकों की रायपुर में “बाड़ेबंदी’ खत्म, 3 बसों में सवार होकर रिसॉर्ट पहुंचे, कल विश्वासमत पेश करेगी सरकार

रायपुर: झारखंड में सत्ताधारी महागठबंधन के विधायकों की रायपुर में “बाड़ेबंदी’ रविवार को खत्म हो गई है। इन विधायकों को रिसॉर्ट से हवाई अड्‌डे ले जाया गया है। वहां से उन्हें विशेष विमान से रांची ले जाया जा रहा है। सोमवार को झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन सरकार विश्वास प्रस्ताव पेश करने वाली है।

बताया जा रहा है कि दोपहर बाद से नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट के बाहर हलचल तेज हुई। वहां पुलिस का सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया। थोड़ी देर बाद कुछ बसें रिसॉर्ट परिसर में दाखिल हुईं। करीब एक घंटे के बाद विधायकों को इन बसों में बिठाकर रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्‌डे ले जाया गया। वहां एक एयर इंडिया का विशेष विमान पहले से ही उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। विधायकों और पदाधिकारियों सहित 35 लोगों को हवाई जहाज में बिठा दिया गया। अब यह विमान रांची के लिए रवाना हो चुका है। बताया जा रहा है कि सभी विधायकों को रांची में ही किसी एक ही स्थान पर ठहराया जाएगा। रात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके साथ चर्चा भी करेंगे। सोमवार की सुबह सत्ता पक्ष के सभी विधायक एक साथ विधानसभा पहुंचेंगे। वहां सरकार विश्वास प्रस्ताव पेश कर सदन में बहुमत सिद्ध करेगी। बताया जा रहा है कि इसका मकसद राजभवन पर दबाव बनाना होगा। झारखंड के विधायकों की वापसी के साथ इस राजनीतिक संकट का यह अध्याय यहीं खत्म हो गया है।

30 अगस्त को रायपुर पहुंचे थे विधायक

झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन के 32 विधायक 30 अगस्त की शाम रायपुर पहुंचे थे। उन्हें नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में तगड़ी सुरक्षा के बीच ठहराया गया। मीडिया से बातचीत में विधायकों का कहना था, उनको खरीद-फरोख्त और दबाव आदि की आशंका है। इसकी वजह से वे यहां एक साथ रह रहे हैं। एक अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। उसमें शामिल होने के लिए मंत्री रांची भी गए।

क्या है झारखंड सरकार का संकट

ऑफिस ऑफ प्राफिट के एक मामले में निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। उसके बाद से वहां राजनीतिक संकट गहरा गया है। राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक अपनी सिफारिश नहीं भेजी है। यूपीए गठबंधन को आशंका है कि भाजपा उनके विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए तोड़ने की कोशिश कर रही है। इसकी वजह से सभी विधायकों को एक साथ रखने की कोशिश की जा रही है। झारखंड विधानसभा में 81 विधायक हैं। इनमें से यूपीए गठबंधन के पास 50 विधायकों का समर्थन है। भाजपा गठबंधन के पास कुल मिलाकर 30 विधायक हैं।

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