Jagdalpur | दलपत सागर को स्वच्छ और जलकुंभी मुक्त करने नगर निगम ने मंगाई हार्वेस्टर मशीन, देखिए कैसे करती है काम

सोहेल रजा
जगदलपुर:
शहर का ऐतिहासिक दलपत सागर के अच्छे दिन बहुत जल्द आएंगे। निगम अपने एक्शन प्लान के तहत दलपत सागर से कचरा व गाद निकालने के लिए एक्वेटिक वीड हार्वेस्टर मशीन ली है। इससे जहां काफी कम समय में सफाई का काम पूरा हो जाएगा, बल्कि यह दलपत सागर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। कोविड की वजह से कंपनी के लोग यहां आकर ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे, इसलिए निगम ने जेसीबी संचालक अजय यादव को केरल इसकी ट्रेनिंग के लिए फ्लाइट से भेजा है। पिछले एक हफ्ते से अजय केरल में इसकी ट्रेनिंग ले रहा है। निगम आयुक्त का कहना है कि आने वाले १० से १५ दिन में यह मशीन दलपत सागर में उतर जाएगी और इसकी सफाई का काम शुरू हो जाएगा।

निगम आयुक्त प्रेम कुमार पटेल ने बताया कि मशीन को देखने और ट्रेनिंग के लिए एक ड्राइवर और एक सब इंजीनियर को भेजने पर सहमति बनी थी। लेकिन जिसे भेजने पर सहमति बनी थी उसका कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया। जिसके बाद सिर्फ ड्राइवर को टे्रनिंग के लिए भेजा गया है। इसके लिए पर्यटन व अन्य मद से पैसे दिए जाने पर सहमति बनी है। इस मशीन के आने के बाद जल्द ही दलपत सागर साफ होगा। वहीं दलपत सागर का रकबा लगातार कम हो रहा है 1300 एकड़ में फैला तालाब अब सिमट कर 360 एकड़ में रह गया है।

निगम आयुक्त ने बताया कि इस मशीन की तफ्तीश करने के बाद केरल में सबसे अच्छी मशीन मिलने की जानकारी सामने आयी। जिसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क किया गया। ७५ लाख के करीब पडने वाली इस मशीन की खरीदी की गई है

राम वन पथ गमन में शामिल हुआ दलपत
जगदलपुर नगर निगम कमिश्नर प्रेम पटेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जगदलपुर के ऐतिहासिक दलपत सागर को राम वन पथ गमन में शामिल कर लिया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने दलपत सागर का निरीक्षण किया है। जिसके बाद चित्रकोट, तीरथगढ़ समेत शहर से दलपत सागर को भी इसमें शामिल किया गया। अब इसकी सफाई की दिशा में ठोस कार्रवाई के लिए मशीन की खरीदी की गई है।

तालाब से निकलने वाली जलकुंभी से बनाएंगे खाद
आयुक्त ने कहा कि कोविड के प्रकोप को देखते हुए सिर्फ एक को ट्रेनिंग के लिए केरल भेजा गया है। यह वहां से लौटकर यहां के लोगों को इस चलाने की ट्रेनिंग देगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चालक छुट्टी पर हो तब भी सफाई में किसी प्रकार की बाधा न हो। उन्होंने कहा कि जेसीबी चालकों के जाने के बाद स्थानीय स्तर पर कोई बाधा न हो इसके लिए कर्मचारियों से चर्चा कर यह निर्णय लिया गया है। आयुक्त ने कहा कि तालाब की सफाई के बाद निकलने वाली जलकुंभी से खाद बनाई जाएगी।

जापानी मछली से जलकुंभियों को खत्म करने का प्लान हो चुका है फेल
दलपत सागर की सफाई के लिए वर्ष 201३-1४ में निगम ने जापान से मंगाई गई डेढ़ लाख मछलियों को छोड़ा था लेकिन ये मछलियां तालाब की जलकुंभी को खत्म नहीं कर पाई। गौरतलब है कि जिस समय ये मछली दलपत सागर में डाली गई थी उस समय निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि दो साल में जलकुंभियों से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन स्थिति नहीं बदली। वहीं इन मछलियों का वजन करीब 20 किलो तक होने का भी दावा किया था, और इसका फायदा मछुआरों को मिलने की बात कही थी, लेकिन यह पांच किलो की भी नहीं हुईं।

क्या है इस मशीन की खासियत

  • पानी में तैरते हुए जलकुंभिंयों को निकालता है।
  • कनवेयर के जरिए जलकुंभियों और कचले की कटिंग कर उसे इकट्ठा करता है।
  • एक दिन में आधे एकड़ तक के इलाके को साफ करने की क्षमता।
  • मेट्रो शहर तक में झील, तालाब व नदियों की सफाई इसी मशीन से हो रही है।
  • रोज 8से 10 ट्रिप जनकुंभी निकालेगी यह मशीन।
  • जगदलपुर में दलपत सागर पहुंचते- पहुंचते इसकी कीमत करीब 75 लाख पहुंचेगी।

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