खैरागढ़ में पर्ची सिस्टम से कांग्रेस के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के नाम निकले, भाजपा को जबर्दस्त झटका

रायपुर: पूरे देश में संगीत विश्वविद्यालय के नाम से विख्यात खैरागढ़ नगर पालिका के चुनाव पर सबकी नजर थी। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के इस नगर पालिका में कांग्रेस व भाजपा को 10-10 सीटें मिली थी। दोनों ही दलों के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होने की वजह से प्रशासन ने पर्ची निकालने का फैसला लिया। पर्ची सिस्टम से कांग्रेस के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के नाम निकले। लॉटरी पद्धति ने संगीत नगरी में कांग्रेस की किस्मत चमका दी। भाजपा को इस पालिका में जबर्दस्त झटका लगा है। 

खैरागढ़ नगर पालिका के वार्ड नंबर 2 पिपरिया से कांग्रेस के पार्षद शैलेंद्र वर्मा को जीत मिली है। शैलेन्द्र वर्मा ने भाजपा के वार्ड नंबर 19 से पार्षद चंद्रशेखर यादव को लॉटरी सिस्टम से हरा दिया। इधर उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस के ही वार्ड नंबर 18 से पार्षद अब्दुल रज्जाक खान को जीत मिली। उन्होंने भाजपा के वार्ड नंबर 16 से पार्षद विनय देवांगन को पटखनी दी है। 

भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के पास नहीं था बहुमत 
बता दें कि 23 दिसंबर को मतगणना के दौरान खैरागढ़ नगर पालिका परिषद में कांग्रेस के 9 पार्षद व भाजपा के 10 पार्षद विजयी हुए थे। वहीं एक वार्ड में दोनों प्रत्याशियों के बीच टाई हो गया था। इसके बाद पार्षद का फैसला ड्रॉ से किया गया। यहां कांग्रेस ने बाजी पलटी और कांग्रेस के भी 10 पार्षद हो गए। बहुमत के लिए 11 पार्षदों की जरूरत थी। पालिका में अध्यक्ष को लेकर किसी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था। यहां तीन बार टाई होने के बाद भाग्य पर्ची से निकला है। कांग्रेस ने इस निकाय में प्रभारी के तौर पर धर्मेंद्र यादव को जिम्मेदारी सौंपी थी।

जामुल में उलझी भाजपा, सत्ता के करीब पहुंची कांग्रेस 
15 निकायों में हुए चुनाव में एकमात्र नगर पालिका जहां भाजपा को बहुमत है, वहां गुटबाजी में सत्ता भाजपा के हाथों से निकलती दिख रही है। 20 वार्डों वाले पालिका में भाजपा के पास 10, कांग्रेस के पास 5 और 5 निर्दलीय हैं। दुर्ग जिले में भाजपा के कई गुट हैं। एक गुट पूर्व अध्यक्ष को फिर अध्यक्ष बनाने की कवायद में जुटा है तो दूसरा गुट पहली बार चुनाव जीतकर आए व्यक्ति अध्यक्ष बनाने पार्षदों को मनाने में जुटा हुआ है। यहां मनमुटाव की वजह से भाजपा के हाथों से सत्ता खिसकती नजर आ रही है। चुनाव में क्रास वोटिंग की संभावना बढ़ गई है, जिससे सत्ता के करीब कांग्रेस पहुंच गई है। 

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