रमेश गुप्ता
दुर्ग: लाॅकडाउन में ठगी करने वाले नए-नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसा ही एक मामला पदम्नाभुर से सामने आ रहा है, जहां एक व्यक्ति की शिकायत के बाद इन्शोरेंस अधिकारी बनकर ठगी करने वाले युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, वहीं दूसरा युवक फरार हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार ये ठग अलग-अलग व्यक्तियों से करीब 10 लाख की ठगी कर चुके थे। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4.50 लाख रूपये उनके बैंक खातों से सीज करा दिए। एक आरोपी को पुलिस ने दिल्ली से पकड़ा है। एसपी प्रशांत ठाकुर एडिशनल एसपी रोहित झा ने पत्रकार वार्ता लेकर इस मामले का खुलासा किया है।
क्या है मामला
शंकर राव कटारे ने पदम्नाभुर पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करायी कि 2013 में उनके द्वारा एसबीआई का लाइफ इन्शोरेंस लिया गया था। जुलाई-अगस्त 2020 को एक व्यक्ति ने फोन करके बताया कि उनकी इन्शोरेंस पाॅलिसी पुरानी हो गयी है और उसे रिन्यू करने के लिए अभिषेक शर्मा और आलोक शर्मा ने अपने खातों में 10 लाख रूपये जमा करा लिए। पुलिस ने शिकायत पर तुरंत एक्शन लेते हुए सायबर टीम की मदद ली। जिससे पता चला कि आरोपी दिल्ली में मौजूद हैं। उपनिरीक्षक राजीव तिवारी आरोपियों की पतासाजी के लिए दिल्ली रवाना हुए तो वहीं सायबर सेल प्रभारी निरीक्षक नरेश पटेल दुर्ग में रहकर उनको मदद करते रहे। दिल्ली पहुंची टीम को पता चला कि आरोपी ठगी गयी रकम को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा रहे हैं। पुलिस बैंकों में जाकर उनके फोटो निकवालने में सफल हो गयी।
यूं धरे गए आरोपी
इस दौरान पुलिस को एक आरोपी का मोबाइल नंबर भी मिल गया। पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपी 6 अन्य खातों में पैसे को ट्रांसफर कर एटीएम से पैसे निकाल रहा है। पुलिस ने तुरंत उनके बैंक को सीज कराया जिसमें 4.50 लाख रूपये के करीब रकम थी। पुलिस के पास आरोपी का फोटो और लोकेशन था तो पुलिस टीम ने देर न करते हुए एक आरोपी को दिल्ली के मयूर विहार फेस-1 से पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम विराज गुप्ता बताया जो अपने साथी दीपक मेहता के साथ मिलकर ठगी के काम को अंजाम देता था। विराज गुप्ता के पास विभिन्न कंपनी के 10 सिम, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, चेकबुक, 17 हजार नगदी व अन्य सामान जप्त किया गया है। पुलिस उसके अन्य साथियों का पता लगाने में जुटी हुई है।