Movie Review | दुर्गामती में चकरी की तरह घूमती है कहानी, कमजोर डाॅयलाॅग्स की है हवाबाजी, देखे या न देखें, जानिए इस खबर के जरिए

मुंबई: दुर्गामती का ट्रेलर देखकर लगा था कि भूमि पेडनेकर एक मजबूत कैरेक्टर प्ले करने जा रही हैं. एक ऐसा किरदार जिसके पास दमदार डायलॉग्स होंगे, जो पूरी फिल्म की कहानी को अपने ही दम पर आगे बढ़ाएगा। देखकर ये भी लगा था कि फिल्म में कई ट्विस्ट एंड टर्न्स होंगे। फिल्म का पोस्टर भी इतना धांसू बना दिया था कि मानों कोई मेगा बजट फिल्म रिलीज होने वाली है। अब उम्मीदें तो सभी के मन में जगी थीं, बस जानना ये है कि क्या वो उम्मीदें भूमि की फिल्म से पूरी होती हैं या नहीं।

कहानी
पेड़ पर लटकती लाश, सीढ़ियों पर गिरी महिला और जान बचाने के लिए भागते ढेर सारे बच्चे। दुर्गामती का ये शुरुआती सेटअप है जिसे देख दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। बैकग्राउंड स्कोर भी ऐसा लगा दिया है कि वो सीन और ज्यादा बड़े लगने लगते हैं। ये सारे कांड एक ऐसे गांव में हो रहे हैं जहां पर एक पुरानी हवेली है। रानी दुर्गामती की हवेली। उस हवेली को लेकर कहां जाता है कि कई साल पहले रानी दुर्गामती को बुरी तरह मार दिया गया। उसके बाद से उस हवेली में उनकी आत्मा भटकती है। गांव वाले उस हवेली के आस-पास भी नहीं मंडराते हैं।

खैर इस प्लॉट से कहानी आगे बढ़ती है और हम मिलते हैं जल संसाधन मंत्री ईश्वर प्रसाद (अरशद वारसी) से जो खुद को जनसेवक बताते हैं। उन्होंने अपनी एक ऐसी इमेज बना रखी है कि हर कोई उन्हें ईमानदार और मसीहा के रूप में देखता है। उनका कद इसलिए ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि उन्होंने जनता के बीच अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है। दरअसल एक केस चल रहा है जहां पर प्राचीन मंदिरों से भगवान की मूर्तियां गायब हो रही हैं। इस केस की वजह से गांव वाले नाराज हैं और सरकार की इमेज डैमेज हो रही है।

इसके बाद दुर्गामती में आता है तीसरा प्लॉट जहां पर हमारी मुलाकात होती है चंचल कुमार (भूमि पेडनेकर) से जो एक आईएएस ऑफिसर हैं। उनकी लगन को देख ईश्वर प्रसाद भी उन्हें काफी मान देते हैं। लेकिन अपने काम और नीयत से सभी को इंप्रेस करने वाली चंचल कुमार एक बड़ी मुसीबत में फंस जाती हैं। उन्होंने अपने प्रेमी और लोगों के हक के लिए लड़ने वाले शक्ति (करण कपाड़िया) को गोली मार दी है। उस वजह से इस आईएएस ऑफिसर को जेल की हवा खानी पड़ रही है।

अब आता है कहानी का चैथा प्लॉट जहां पर हम मिलते हैं सीबीआई ऑफिसर (माही गिल) से जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि मंत्री ईश्वर प्रसाद को भ्रष्टाचार मामले में फंसाने की। वो जो गांव में मूर्तियां चोरी हो रही हैं, उसी केस में ईश्वर को फंसाने की तैयारी है। अब क्योंकि चंचल भी ईश्वर के करीब रही है ऐसे में उससे पूछताछ की जानी है। लेकिन गलत काम हमेशा छिपकर होते हैं। इसलिए चंचल को जेल से सीधा दुर्गामती हवेली ले जाया जाता है और वहां पर उससे पूछताछ की जाती है।

यही है इस फिल्म की कहानी। सवाल बस ये है कि अब चंचल का क्या हाल होगा? क्या दुर्गामती की भटकती आत्मा चंचल को मार देगी? क्या ईश्वर प्रसाद को भ्रष्टाचारी साबित कर दिया जाएगा? चोरी होने वाली मूर्तियों का क्या राज है? डायरेक्टर अशोक की ये फिल्म देखकर इन सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

चकरी की तरह घुमाती कहानी
155 मिनट की फिल्म है। उसमें भी पूरे 120 मिनट तक आपको चकरी की तरह घुमाया जाएगा। ये जो आप को टुकड़ों में कहानी समझाई है, ऐसा इसलिए किया है क्योंकि फिल्म देखकर यही लगता है। कई कहानियां फिल्म के अंदर चलेंगी, लेकिन उनके बीच का कनेक्शन ढूंढते-ढूंढते आप अच्छे से घूम जाएंगे। दुर्गामती के मेकर्स चाह रहे हैं कि हम उनके साथ दो घंटे अच्छे से कॉपरेट करें क्योंकि उसके बाद ही वे अपनी कहानी के राज खोलने का मन बनाते हैं। लेकिन उनका दर्शकों से इतनी उम्मीद लगाके बैठना बेफिजूल है। इतनी हिम्मत और पेशेंस किसी में नहीं।

भूमि पेडनेकर की सबसे बड़ी चूक
अब इस टूटी-फूटी कहानी में कई सारे स्टार्स हैं। भूमि पेडनेकर की वजह से तो ये फिल्म और बड़ी बन गई। लेकिन इस बार कहना पड़ेगा कि भूमि से बहुत बड़ी चूक हो गई है। पूरी फिल्म में भूमि सिर्फ और सिर्फ चिल्ला रही हैं। उनके मुंह से ऊटपटांग डॉयलाग्स की हवाबाजी हो रही है। नेता के रोल में अरशद भी ठीक-ठाक ही कहे जाएंगे। बस ये देखकर अच्छा लगता है कि उन्हें कॉमिक के अलावा सीरियस रोल भी दिए जा रहे हैं। एक्ट्रेस माही गिल का काम औसत ही रह गया है। सीबीआई ऑफिसर के रोल में थोड़ी कड़क दिखती तो मजा आ जाता। सहकलाकार के रूप में जिशू सेन गुप्ता और तान्या अबरोल भी बेदम ही दिखे हैं।

देखें या ना देखें?
दुर्गामती, साउथ फिल्म भागमती की ही रीमेक है। डायरेक्टर भी दोनों के सेम हैं। लेकिन अनुष्का शेट्टी की वजह से भागमती फिर भी देखने लायक बन गई थी। लेकिन दुर्गामती के साथ ऐसा बिल्कुल भी होता नहीं दिखा है। क्लाइमेक्स तो इतना भयंकर है कि आप अपना सिर पकड़ लेंगे। ऐसे में भूमि की इस नई पेशकश को बिना देखे रह सकते हैं।

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