रायपुर:
कश्मीर में तैनात छत्तीसगढ़ की एक बेटी की खासी तारीफ हो रही है। पीडी नित्या छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की हैं। ये आईपीएस हैं। धारा-370 हटाए जाने के बाद से घाटी में इनके कामों को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। नित्या अपने कामों से वहां के लोगों का मन जीत रही हैं।
साथ ही साल 2013 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी डॉक्टर सैयद सहरीश असगर ने यह कभी नहीं सोचा था कि उनकी नई जिम्मेदारी कश्मीर घाटी में अपने प्रियजनों से हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों की उनसे फोन पर बात कराने या उन्हें डॉक्टरों से मिलवाने की होगी। उनकी नियुक्ति जम्मू-कश्मीर प्रशासन में सूचना निदेशक के पद पर हुई है।
वैसे तो उनकी भूमिका लोगों को सरकारी योजनाओं की सूचना देना है। लेकिन पिछले आठ दिनों से वह लोगों की परेशानियों को हल कर रही हैं। कश्मीर में धारा 370 हटने और राज्य के विभाजन के बाद अब उनका काम क्राइसिस मैनेजमेंट का हो गया है।
छत्तीसगढ़ की नित्या ने एनआईटी रायपुर से केमिकल इंजीनियरिंग किया है। उनकी पहली नौकरी चंद्रपुर की सीमेंट फैक्टी में लगी थी लेकिन वह उसे रास नहीं आई। वहीं से यूपीएससी की तैयारी कर 2016 में आईपीएस के रूप में चयनित हुई। हाल ही में उनकी पोस्टिंग श्रीनगर में की गई।
नेहरू पार्क के उप विभागीय पुलिस अधिकारी के पद पर तैनात नित्या को राम मुंशी बाग और हरवन दाग्ची गांव के बीच निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। करीब 40 किमी में फैला ये इलाका संवेदनशील है। इस इलाके में न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र डल झील ही है, बल्कि राज्यपाल आवास और वो इमारत भी है, जहां जम्मू कश्मीर के नेताओं व वीआईपी लोगों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नजरबंद किया गया है।
दोनों महिला अधिकारीयों की कार्यशैली चर्चा का विषय बन गई है। उनके काम का गुणगान किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कैसे विपरीत स्थितियों में वो बिना भय के अपनी ड्यूटी कर रही हैं।