आदिवासी छात्रा से गैंगरेप मामले में 11 लोगों को उम्रकैद, लॉ कॉलेज के पास से हुई थी किडनैपिंग

रांची : कोर्ट ने लॉ की पढ़ाई करने वाली एक आदिवासी छात्रा के साथ गैंगरेप मामले के 11 अभियुक्तों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. इस मामले के 12वें अभियुक्त के नाबालिग होने के कारण उसकी सज़ा का फ़ैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करेगा. इस मामले की पैरवी कर रहे सरकारी वकील एके सिंह ने बताया कि इन्हें दोषी क़रार देते वक़्त कोर्ट ने कहा था कि दो मार्च को अभियुक्तों की सज़ा के बिंदुओं पर सुनवाई होगी. इन्हें आईपीसी की धारा 376 (डी), 366, 120-बी, 379 और 411 के तहत दोषी क़रार दिया गया है. मतलब, न केवल गैंगरेप बल्कि अपहरण और चोरी के मामले भी प्रमाणित हुए हैं.

यह घटना लॉ यूनिवर्सिटी के पास संग्रामपुर गांव के पास 26 नवंबर, 2019 की शाम की है. पीड़िता ने अदालत में बताया कि वह अपने एक दोस्त के साथ रिंग रोड पर स्थित एक बस स्टॉप पर बैठी थी. तभी वहां बाइक पहुंचे दो युवकों ने पहले तो गंदे कमेंट किए और फिर लड़की के दोस्त के साथ मारपीट कर उसे अग़वा कर लिया. इस बीच बाइक का पेट्रोल ख़त्म हो गया तो एक तीसरे युवक की कार से उसे अग़वा किया गया. तीनों युवकों ने पास की एक सुनसान जगह पर गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया. इसके बाद उन लोगों ने अपने कुछ और दोस्तों को फ़ोन कर बुलाया और फिर 12 लोगों ने उस छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया. इसके बाद उनमें से दो युवकों ने पीड़िता की ही स्कूटी से उन्हें उनके हॉस्टल तक छोड़ा और छीन लिए गए मोबाइल फोन मांगने पर दोबारा दुष्कर्म किया गया.

रांची न्यायालय के जुडिशियल कमिश्नर नवनीत कुमार ने इस मामले में कुलदीप उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, अमर उरांव, वसंत कच्छप, रवि उरांव, सुनील मुंडा, ऋषि उरांव और रोहित उरांव को जीवन पर्यंत जेल में ही रहना होगा.

झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दुष्कर्म के किसी मामले में कोर्ट ने महज़ तीन महीने के अंदर ही ट्रायल पूरा कर लिया हो. इस मामले की सुनवाई लगातार 46 दिनों तक चली. क़रीब 99 घंटों में हुई कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कुल 21 गवाह पेश किए गए थे. अभियुक्तों की तरफ़ से किसी ने गवाही नहीं दी.

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