छत्तीसगढ़ | क्वारैंटाइन में गुंजी किलकारी ; अकलतरा में दो स्वस्थ्य बच्चियों का हुआ जन्म

  • पुणे से लौटी सुनीता पटेल को तागा स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया था
  • अहमदाबाद से आई कविता जोगी पहली बार बनी मां
  • दोनों बच्चियां और उनकी मां स्वस्थ

जांजगीर: लॉकडाउन में मजदूर मीलों पैदल चलकर घर जाने का सफर तय करने के लिए मजबूर हैं। नंगे पैर, खाली पेट और सिर पर बोझ लिए यह सफर बहुत लंबा हो गया है। घर पहुंचने का फासला कुछ घंटों से अब दिनों और सप्ताह में बदल गया है। इसके बावजूद अक्सर घर पहुंचने से पहले मिलने वाली खुशी इतनी बढ़ी हो जाती है कि तकलीफें उसके सामने बेकार लगने लगती हैं। छत्तीसगढ़ के जांजगीर मेें क्वारैंटाइन सेंटर से भी ऐसी ही कहानी है। जहां दो महिलाओं ने बेटियों से घर को रौशन कर दिया है। जांजगीर के अकलतरा में दो अलग-अलग क्वारैंटाइन सेेंटर में रह रही महिलाओं ने बच्चियों को जन्म दिया। दोनों महिलाओं ने एक ही अस्पताल में बच्चों को जन्म दिया है। महिलाएं और बच्चियां दोनों स्वस्थ हैं।

अलग-अलग क्वारैंटाइन सेंटर, एक ही स्वास्थ्य केंद्र पहुंची दोनों महिलाएं

अकलतरा ब्लॉक में अलग-अलग जगह क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक तागा स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में मुड़ापार निवासी सुनीता पटेल को उसके पति संतोष पटेल व बच्चे के साथ रखा गया है। यह परिवार महाराष्ट्र के पुणे मजदूरी करने के लिए गया था। सुनीता गर्भवती हुई तो ये लौटने की योजना बना रहे थे। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। किसी तरह लौटे तो इन्हें क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया। यहां रविवार को प्रसव पीड़ा होने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां सुनीता ने बेटी को जन्म दिया।

पहली बार मां बनने की मिली खुशी ने तकलीफ भुला दी

ऐसी ही कहानी कोटमी सोनार निवासी कविता जोगी की है। उसने भी अकलता के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शाम को बेटी को जन्म दिया है। यह कविता की पहली संतान है। कविता अपने पति संतोष जोगी के साथ कुछ दिन पहले ही अहमदाबाद से लौटी है। इसके बाद उसे आरसमेटा स्थित क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया था। फिलहाल, महिला चिकित्सक ललिता टोप्पो ने बताया कि दोनों महिला और बच्चियां स्वस्थ हैं। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

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