बाबरी मस्जिद विध्वंस : कोर्ट ने आडवाणी, जोशी सहित सभी 32 आरोपियों को किया बरी…

नई दिल्ली: करीब 28 साल बाद विवादित बाबरी ढांचा गिराने के मामले में लखनऊ की सीबीआई विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले में कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। अपने 26,000 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने कहा है कि यह घटना पहले से पूर्व नियोजित नहीं था। जो भी घटना घटी वो आकस्मिक हुआ। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि पक्षकार मामले में साक्ष्य जुटाने में नाकाम रहें।

फैसला के समय कोर्ट परिसर के बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज एसके यादव ने ये फैसला सुनाया हैं। गौरतलब है कि उनका कार्यकाल आज हीं खत्म हो रहा है। ये उनका आखिरी फैसला है। इसके बाद वो रिटायर हो जाएंगे। उनका कार्यकाल पिछले साल खत्म हो गया था। जिसके बाद उनके कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ाया गया, जो आज खत्म हो रहा है। कोर्ट में सुधीर कक्कड़, बजरंग दल के पूर्व संयोजक प्रकाश शर्मा मौजूद रहें। मामले में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिसमें से 32 आरोपी जीवित हैं। 6 को छोड़कर सभी कोर्ट में उपस्थित रहें। फैसला सुनाने के वक्त चार हाई-प्रोफाइल आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह कोर्ट में मौजूद नहीं रहें।

कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में शामिल थे। मामले के कुल 49 अभियुक्त थे, जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है।फैसला सुनाये जाने से ऐन पहले सभी अभियुक्तों के वकीलों ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437—ए के तहत जमानत के कागजात पेश किये। यह एक प्रक्रियात्मक कार्रवाई है और इसका दोषसिद्धि या दोषमुक्त होने से कोई लेना—देना नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को बाबरी विध्वंस मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी। केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए।

इस मामले में लालकुष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे।

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