RAIPUR | आरक्षण विधेयक को लेकर कांग्रेस फिर हमलावार, PCC अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा- जहां बीजेपी की सरकार नहीं, वहां राजभवन के पीछे रहकर षड़यंत्र

रायपुर: विधानसभा से पारित आरक्षण विधेयकों पर 44 दिन बाद भी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं। इससे आरक्षित वर्गों में खासकर आदिवासी समाज में तनाव बढ़ रहा है। इधर कांग्रेस इसे लेकर लगातार हमलावर है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, भाजपा की आरक्षण विरोधी नीति के चलते ही अभी तक विधेयकों पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं। जिस राज्य में भाजपा सत्ता में नहीं है वहां वह राजभवन के पीछे छिपकर राजनीतिक षडयंत्र करती है।

मोहन मरकाम ने कहा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित सभी गैर भाजपा शासित राज्यों में जिस प्रकार से राजभवन की भूमिका है पूरा देश देख रहा है। छत्तीसगढ़ में भी यही हो रहा है। मरकाम ने कहा, भाजपा नहीं चाहती प्रदेश के आदिवासी वर्ग को 32%, OBC वर्ग को 27%, SC वर्ग को 13% और EWS वालों को 4% आरक्षण का लाभ हम मिले।

2 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण भी पारित हुआ था। उसी दिन राजभवन में हस्ताक्षर हेतु भेजा गया लेकिन आज भी आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं होना दुर्भाग्य जनक है। आरक्षण बिल में हस्ताक्षर नहीं होने के चलते प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज ,फार्मेसी सहित कई शैक्षणिक संस्थानों के सीट आज रिक्त पड़ी हुई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, आरक्षित वर्ग भाजपा के इस चरित्र को पहचान चुका है। जिस प्रकार से केंद्र की सरकार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है उनका मूल उद्देश्य सरकारी सेवाओं से आरक्षण को खत्म करना है। भाजपा की हिडन एजेंडा है चंद पूंजीपतियों के हाथों में पूरे देश की संपत्ति और जनता को सौंपना। आरक्षित वर्ग मजबूत होगा, नेतृत्व करेगा, अपना अधिकार मांगेगा तो भाजपा अपने एजेंडे को पूरा करने में नाकाम साबित होगी। इसीलिए भाजपा हर स्तर पर आरक्षण को रोकना चाहती है और आरक्षित वर्गों को उनके अधिकार से वंचित रखना चाहती है।

आरक्षित वर्गों को बताएं आरक्षण के पक्ष में हैं या खिलाफ

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा से जुड़े आरक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज के सामने अपनी मंसा स्पष्ट करनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि वे 76% आरक्षण के पक्ष में हैं कि विरोध में। अगर पक्ष में हैं तो वह कब राजभवन जाकर उस आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करने की मांग करने जाएंगे। यदि वे आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं करा सकते तो उन्हें भाजपा में रहने का अधिकार नहीं है।

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