RAIPUR | सीएम भूपेश पर पूर्व CM डॉ. रमन ने ट्वीट कर कसा तंज, कहा- गंगा मैया की झूठी कसम खाने वालों को छत्तीसगढ़ माफ नहीं करेगा

रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में शराबबंदी का मुद्दा हमेशा सुर्खियों में रहता है। विधानसभा में भी इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो चुकी है। भाजपा का कहना है कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने हाथ में गंगाजल लेकर शराबबंदी की कसम खाई थी। वहीं सीएम भूपेश इसे असत्य कथन बताते हुए खारिज कर चुके हैं।

छत्तीसगढ़ में शराब का नशा राजनीति पर चढ़ा हुआ है। तेज नशे का बवंडर उठता है और फिर शांत हो जाता है। इधर प्रदेश की आम जनता भी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर मुखर होने लगी है। सरकार ने शराबबंदी को लेकर भले ही समिति गठित की है, लेकिन सरकारी खजाने में शराब से मिलने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा शामिल है।  

शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक बार फिर सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधा है। डॉ. रमन ने ट्वीट कर कहा कि शराबबंदी करने की आपकी नीयत होती तो इस तरह के बहाने नहीं खोजते। पहले अध्ययन समिति बनाई जो 3 साल में कोई रिपोर्ट नहीं दे पाई। अब सरपंचों के सिर पर इसे मढ़कर खुद बचकर निकलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि याद रखना! गंगा मैया की झूठी कसम खाने वालों को छत्तीसगढ़ माफ नहीं करेगा।

डॉ. रमन के इस बयान पर प्रदेश में फिर शराबबंदी पर सियासत गर्म हो गई है। वहीं इस मामले में सीएम भूपेश कहते रहे हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शराबबंदी को लेकर गठित समितियों की बैठकें आयोजित हो रही है। राज्य में पूर्ण शराबबंदी को लेकर विचार मंथन किया जा रहा है। बता दें कि कुछ दिनों पहले आबकारी मंत्री कवासी लखमा का बयान आया था कि प्रदेश में नोटबंदी की तरह शराबबंदी नहीं हो सकती। 

समिति की अब तक हो चुकी है पांच पांच बैठकें 
जनसंपर्क विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शराबबंदी को लेकर गठित तीनों समितियों की बैठकें आयोजित हो रही है। अब तक कुल पांच बैठकें हुई है, जिनमें राज्य में शराबबंदी को लेकर विचार मंथन जारी है। शासन द्वारा राजनैतिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों वाली कुल तीन समितियां बनाई है, जो इस मसले पर अध्ययन, विचार मंथन एवं सामाजिक स्तर पर लोगों से सुझाव प्राप्त कर रही है।

शराबबंदी को लेकर गठित राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की समिति, प्रशासनिक स्तर पर गठित समिति की अब तक दो-दो बैठकें तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की समिति की एक बैठक हो चुकी है।

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