RAIPUR | शहीद जवानों को राज्यपाल और सीएम ने दी श्रद्धांजलि, परिजन भी उनकी याद में हुए गमगीन

रायपुर: राजधानी रायपुर के चौथी वाहिनी, छगसबल, माना में पुलिस स्मृति दिवस परेड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बीते एक साल के दौरान राज्य में शहीद हुए 32 जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान शहीद जवानों के परिजनों अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए और याद में रो पड़े।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत राज्यपाल अनुसुइया उइके के परेड की सलामी लेने से हुई। बैंड ने राष्ट्रीय धुन का वादन और पाल-बियरर पार्टी द्वारा सम्मान सूची का प्रस्तुतिकरण दिया। हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

कार्यक्रम में पाल-बियरर पार्टी द्वारा सम्मान सूची का स्मारक कोष में संस्थापन और शहीदों को सलामी दी गई, इसके साथ ही संपूर्ण भारत में 1 सितंबर 2020 से 31 अगस्त 2021 तक कर्तव्य की वेदी पर शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों की नामावली वाचन और अतिथियों व पुलिस अधिकारियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पण किया गया। इस दौरान बीते साल देशभर में शहीद हुए विभिन्न सुरक्षा बलों के 377 शहीदों के नामों का वाचन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि पुलिस स्मृति दिवस के अवसर मैं वीर शहीदों को शत-शत नमन करती हूं। शहीद जवानों को प्रदेश की जनता की ओर से भी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। आज के दिन हम पुलिस सेवा में शहीद हुए जवानों को याद करते हैं। यह दिवस हमें उन वीर जवानों की शौर्य की गाथा को याद दिलाता है। जिन्होंने मातृभूमि की सेवा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।

ऐसे वीर सपूतों के जन्म के लिए मैं उनके माता-पिता को प्रणाम करती हूँ। पुलिस का वाक्य है, परित्राणाय साधुनाम आप लोगों ने सचमुच गीता के वाक्य को साबित कर दिखाया है। हम सब अपने-अपने घर पर सुरक्षित रहते हैं। क्योंकि रात दिन पुलिस तैनात रहती हैं। कोरोना वायरस के दौरान आप लोग हर मोर्चे पर तैनात रहे हैं। इस बीच कई जवान कोरोना वायरस संक्रमित होकर अपने प्राणों की आहुति भी दे दी। परंतु उनका हौसला नहीं टूटा और वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे। पुलिस का काम अधिक जिम्मेदारी का काम है। समाज में व्यवस्था बनी रहे और नागरिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े इसीलिए पुलिस हर वक्त तैनात रहती है।

पुलिस के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखें उनसे परिवार के एक सदस्य के भांति व्यवहार करें, उन्हें सम्मान दें। आप के दो मीठे बोल उनके व्यवहार में कितना परिवर्तन लाएंगे यह सब व्यवहार उनकी सारी थकान को दूर कर देगी और आपके प्रति अच्छा व्यवहार कर अपनी ड्यूटी दोगुनी गति से करेंगे। पुलिस विभाग से आग्रह है पुलिस जवानों के प्रति तमाम ऐसे कार्यक्रम आयोजित करें सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें जहां उनकी थकान और तनाव खत्म हो सकें।

राज्यपाल ने सभी लोगों से अपील किया की पुलिस का सम्मान करें। कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने हर परिस्थिति के बेहतर काम किया है। जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी है। नक्सल क्षेत्रों के भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा में लाने का काम पुलिस के जवान कर रहें है। वो दिन दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ नक्सल मुक्त हो जाएगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने कहा कि जवानों के जज्बे से ही समाज में उनका सम्मान सुनिश्चित होता है। शहीद का परिवारों का देखरेख करने सिर्फ सरकार का दायित्व नहीं समाज का भी है। शहीदों और उनके परिजनों को नमन करता हुं। अपना जीवन दाव पर लगाकर मातृभूमि की रक्षा के लिए तैनात है। शहादत किसी व्यक्ति का सर्वाेच्च योगदान होता है।

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा-जाबांज जवानों को नमन करता हुं. विकास, विश्वास और सुरक्षा के तहत काम किया जा रहा है। नक्सली वारदातों में कमी आई है।

बता दें कि पुलिस स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को आयोजित किया जाता है। यह दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति में तैनाते एक छोटे से गश्ती दल पर चीनी सेना द्वारा भारी संख्या में घात लगाकर हमला किया गया था। इस लड़ाई में 10 रणबांकुरों ने सर्वाेच्च बलिदान दिया था।

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