RAIPUR | खरे सोने से किया जाता है भगवान राम का श्रृंगार, साल में सिर्फ तीन बार इस रूप में होेते हैं प्रभु के दर्शन, जानिए इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर रविवार को राममय नजर आई। हर मोहल्ले के चौक चौराहों पर भगवा झंडा लहरा रहा था और प्रभु श्री राम के जयकारे गूंज रहे थे। मंदिरों में सुबह से ही लोगों का आना-जाना शुरू हो चुका था और इस बीच छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों में से एक राजधानी के दूधाधारी मठ में भी भगवान के दुर्लभ दर्शन मिले।

दूधाधारी मठ 500 साल पुराना मंदिर है। यहां पर भगवान श्री राम की काले संगमरमर की आदमकद प्रतिमा लगाई गई है । रामनवमी के खास मौके पर भगवान श्री राम की इस प्रतिमा के खास श्रृंगार किए गए। कई किलो खरे सोने से भगवान को सजाया गया। भव्य मुकुट, भगवान के धनुष और हाथों में तीर देखते ही बन रहे थे। मंदिर में सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो चुका था। मगर श्रृंगार होने की वजह से मंदिर के पट दोपहर बाद खुले। बड़ी तादाद में लोग इंतजार करते रहे और जैसे ही पट खोले गए लोगों ने जय श्री राम का जयकारा लगाकर दोनों हाथ जोड़कर भगवान के दर्शन किए।

साल में सिर्फ तीन बार होते हैं इस रूप के दर्शन

दूधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास ने बताया कि 365 दिनों में सिर्फ तीन मौकों पर ही भगवान राम का यह स्वर्ण श्रृंगार किया जाता है। विजयदशमी, रामनवमी और जन्माष्टमी के मौके पर भगवान का यह श्रृंगार किया जाता है । उन्होंने बताया कि प्राचीन समय के ही आभूषण आज तक इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इन आभूषणों को मंदिर के गुप्त स्थान पर रखा जाता है । उसे किसी भी व्यक्ति को देखने की इजाजत नहीं होती है। सिर्फ तीन मौकों पर ही भगवान का यह रूप देखने को मिलता है। इसे देखने के लिए आसपास के लोग भी पहुंचते हैं। मठ की स्थापना से ही यह परंपरा चली आ रही है और इसे आज भी निभाया जा रहा है।

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