BALRAMPUR | चलने के लिए सड़क नहीं, पीने को पानी नहीं, नाले के पानी से बुझाते हैं अपनी प्यास, देखिए इस गांव का बुरा हाल

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। बलरामपुर के सनमंदरा में ग्रामीणों का कहना है कि गांव में हैंडपंप और कुएं न होने के चलते वे नाली और नालों से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।

एक ग्रामीण ने कहा, ‘हम दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं और बीमार पड़ते रहते हैं। हमारे गांव में ना ही पानी का कोई उचित स्रोत है और ना ही कोई अच्छी सड़क है।’ उन्होंने कहा, प्रशासन ने गांव में एक भी हैंडपंप नहीं लगाया गया है, पानी की सुविधा के नाम पर कंक्रीट का नाला है। हमारा गांव सुदूर क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहां के लोगों को अन्य क्षेत्रों की तरह पानी की समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है।’ उन्होंने कहा कि गांव में कुएं के निर्माण की मंजूरी मिल गई है और निर्माण शुरू हो गया है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि मजदूरों के बजाय इस काम में जेसीबी का इस्तेमाल किया गया था, जिसके कारण रोजगार की उम्मीद कर रहे ग्रामीणों को मायूसी ही हाथ लगी।

‘5KM पैदल जाओ, तब मिलता है हॉस्पिटल के लिए ऑटो’
गांव में पानी के साथ-साथ अन्य भी कई समस्याएं हैं। यहां पक्की सड़क तक नहीं है। लोगों को अपने गांव से बाहर जाने के लिए एक चट्टानी रास्ते का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। एक ग्रामीण ने कहा, ‘अगर कोई बीमार पड़ता है, तो हम उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए ऑटो लेने से पहले लगभग 5 किमी तक ले जाते हैं। छात्र स्कूल जाने के लिए अपनी साइकल तक कंधे पर लेकर चलते हैं।’ एक स्थानीय  व्यक्ति ने कहा, ‘पक्की सड़क न होने की वजह से गांव में एम्बुलेंस भी नहीं आती हैं।’

‘हर बार झूठे वादे कर वोट ले जाते हैं नेता’
ग्रामीणों ने दावा किया कि सरकार वोट मांगते वक्त विकास के वादे करके उन्हें बेवकूफ बनाती है। उन्होंने कहा, ‘सरकार के प्रतिनिधि हर बार झूठे वादे करके हमसे वोट लेते हैं, लेकिन बाद में हमारी समस्या कोई नहीं सुनता।’ दूसरी ओर जिला पंचायत सीईओ रीता यादव ने कहा, ‘मनरेगा के तहत सामुदायिक नलकूप बनाया जा रहा है। अगर और कुओं की जरूरत होगी तो हम उनकी भी व्यवस्था करेंगे। जहां तक ​​सड़क का सवाल है तो यह वन विभाग के अंतर्गत आता है। मैंने डीएफओ से बात की है, उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि सड़क बन जाएगी।’ बता दें कि सनमंदरा गाँव में मुंडा मूल से कोरवा जनजाति निवास करती है। यह छत्तीसगढ़ और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली एक अति पिछड़ी जनजाति है। 

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