‘सचिन पायलट अब भाजपा में’, पीएल पुनिया के बयान से सियासी गलियारों में बवाल

रायपुर : राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार फिर संकट में घिरती नजर आ रही है. इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या कांग्रेस के असंतुष्ट गुट के साथ मिलकर भाजपा मध्य प्रदेश और कर्नाटक की कहानी राजस्थान में भी दोहरा सकती है. इसी बीच देश की राजनीति में भारी उथल-पुथल मची हुई है. भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच फिरे से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी कड़ी में मीडिया से बात करते कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव छत्तीसगढ़ के प्रभारी मंत्री पीएल पुनिया ने कुछ ऐसा कह दिया कि वे सुर्ख़ियों में आ गये.

दरअसल सचिन पायलट से संबंधित एक सवाल पर पीएल पुनिया पुनिया बोल पड़े कि- सचिन पायलट अब भारतीय जनता पार्टी में हैं और भारतीय जनता पार्टी का क्या रुख रहता है कांग्रेस के प्रति, ये जगजाहिर है. इसलिए हमें अब उनसे कोई सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है, कांग्रेस में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मान होता है, सुनिश्चित किया जाता है.  

उनके इस वीडियो में दिए गये बयान को देखकर ऐसा लगता है, जैसे वे ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेना चाहते हों लेकिन गलती से उन्होंने सचिन पायलट का नाम ले लिया. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब उनसे इस मामले में सवाल किये गये तो उन्होंने इस बात को सिरे से नकार दिया और कहा कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. पुनिया ने कहा कि मैंने यह कहा है कि सचिन पायलट को बीजेपी नहीं जाना चाहिए. सचिन पायलट ने खुद बीजेपी में जाने से इंकार किया है. फिर मैं ऐसी बात कैसे कह सकता हूँ ?

क्यों निकली यह बात   

बता दें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा पर अपनी सरकार गिराने की कोशिशों का आरोप लगाया है.  विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए कांग्रेस विधायकों को 25 करोड़ रुपए देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. लेकिन, इसके तुरंत बाद उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की नाराजगी और समर्थक विधायकों के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात की भी खबर आ गई. वहीं इस मामले में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को एसओजी की तरफ से नोटिस भी भेजा गया है.  

इन सभी घटनाक्रम से साफ है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार में अंतर्द्वंद की स्थिति बनी हुई है. इस बीच सचिन पायलट ने अपने पास 30 विधायकों के समर्थन होने का दावा भी पेश कर दिया है. वहीं सीएम अशोक गहलोत ने विधायकों की बैठक रखी और सभी विधायकों को बुलाया गया. इस पर सचिन पायलट ने आने से इंकार कर दिया है.

इससे अटकलें लगाई जा रही है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं और वहां भी मध्यप्रदेश जैसे हालात निर्मित हो सकते हैं.

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने युवा चेहरों यानी मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य और राजस्थान में सचिन पायलट को चेहरा बनाया था. लेकिन, कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद दोनों युवा नेताओं की उपेक्षा और नाराजगी की खबरें आती रही हैं.

सिंधिया और पायलट की मुलाकात के बाद गर्माई राजनीति

राजस्थान में गहराते राजनीतिक संकट के बीच राज्य के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की है. इस मुलाकात के गहरे राजनीतिक संकेत हैं और राज्य की अशोक गहलोत सरकार के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है. इससे ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा जल्दबाजी के बजाय इंतजार करो और नजर रखो की रणनीति पर चल रही है.

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