पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन बोले – शराब दुकान न खोलन से कुल बजट का डेढ़ प्रतिशत नुकसान होता, फिर भी लोगो को राजस्व के लिए खतरे में डाल दिया गया

मौजूदा कोरोना वायरस संक्रमण काल में यदि सरकार तीन महीने भी दुकान बंद करेगी, तो करीब 1500 करोड़ रुपए का घाटा होगा, जो कुल बजट का करीब एक डेढ़ प्रतिशत है

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव विधायक डा रमन सिंह ने आज यहां लाकडाउन के दौरान शराब दुकानें खोले जाने को लेकर राज्य सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि राज्य के कुल बजट का कुछ ही प्रतिशत कमाई देने वाली शराब की दुकानें खोलकर सरकार ने छत्तीसगढ़ की जनता को कोरोना के खतरे में झोंक दिया है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के वादे के साथ सत्ता में आई कांंग्रेस को उसके जन घोषणा पत्र की याद दिलाने भाजपा राज्य भर में आंदोलन करेगी।

राजनांदगांव के भाजपा कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार का कुल बजट लगभग एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए का है और इसमें राज्य का राजस्व 36 हजार करोड़ रुपए है। उन्होंने जानकारी दी कि आबकारी से सरकार को प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। मौजूदा कोरोना वायरस संक्रमण काल में यदि सरकार तीन महीने भी दुकान बंद करेगी, तो करीब 1500 करोड़ रुपए का घाटा होगा, जो कुल बजट का करीब एक डेढ़ प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस एक डेढ़ प्रतिशत के लिए सरकार ने शराब दुकान खोल दी हैं और कोरोनो को आमंत्रित करने का काम किया है।

बिना विजन के चल रही सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने राज्य की कांंग्रेस सरकार को बिना विजन के काम करने वाली और मुख्यमंत्री व मंत्रियों में तालमेल नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री शराब दुकानें नहीं खोलने की सलाह देते हैं तो आबकारी मंत्री शराब से नुकसान नहीं होने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि शराब दुकानों में सोशल डिस्टेंटिंग की धज्जियां उड़ रही हैं और यदि इसके चलते संक्रमण फैला तो 1500 करोड़ की कमाई के चक्कर में 15 हजार करोड़ रुपए केवल स्वास्थ्य में ही खर्च करना होगा और यह भार सीधे तौर पर जनता के सिर आएगा।

यहां विरोध इसलिए

शराब दुकानें खोले जाने के लिए केन्द्र सरकार की गाइडलाइन होने के सवाल पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा रमन ने कहा कि यहां कांंग्रेस सरकार ने गंगाजल की कसम खाकर शराबबंदी की बात की थी और उसे इस वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने सीएए और एनपीआर लागू करने भी कहा था लेकिन राज्य सरकार ने इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाकर विरोध किया। ऐसे में अपने जन घोषणा पत्र को ध्यान में रख राज्य की भलाई के लिए शराब दुकानें नहीं खोलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा कांंग्रेस के दोहरे रवैये का विरोध कर रही है।

एम्स के भरोसे सरकार

कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों के साथ हुई प्रेस काफ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि कोरोना के इलाज के मामले में राज्य सरकार एम्स के भरोसे है। उन्होंने एम्स की स्थापना के लिए पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी और दिवंगत सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा कि इसके बिना कोरोना से लडा़ई मुश्किल होती। डा सिंह ने कहा कि राज्य सरकार अब तक प्रदेश के मेडिकल कालेजों में कोरोना की जांच तक शुरु नहीं कर पाई है।

संसाधनों का उपयोग नहीं कर पा रही सरकार

राजनांदगांव विधायक डॉ. सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल बार-बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य के लिए पैकेज की मांग कर रहे हैं लेकिन राज्य में ही संसाधन और पर्याप्त राशि होने के बाद भी वे इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीएमएफ के 7 सौ करोड़ रुपए को कोरोना से बचाव में खर्च करने केन्द्र ने पूर्व में ही अनुमति दे दी है। इसके अलावा 4 सौ करोड़ रुपए श्रमिक कल्याण कोष और 9 सौ करोड़ रुपए सीएम राहत कोष और अन्य मद में है। उन्होंने कहा कि इस तरह कुल 21 सौ करोड़ रुपए सरकार के पास है पर सीएम ने अब तक कलेक्टरों को 25-25 लाख रुपए ही दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो इतनी बडी़ राशि से पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स और अस्पतालों में संसाधन जुटाए जा सकते हैं।

विधिवत आने वाले हो रहे परेशान

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि स्वास्थ्यगत और अन्य कारणों से विधिवत इजाजत लेकर दूसरे राज्य से यहां आने वालों को बार्डर पर घंटों रोककर जबरन परेशान किया जा रहा है और बिना इजाजत आने वालों को ट्रकों में बिठाकर आगे भेजा जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सैकडो़ं, हजारों की संख्या में आने वाले मजदूरों की स्वास्थ्य जांच और क्वारेंटाइन के लिए सरकार ने किसी तरह की व्यवस्था नहीं की है। उन्होंने कहा कि अपनी जिम्मेदारी से बचने रात के अंधेरे में मजदूरों को भगाया जा रहा है। राजनांदगांव जिले में ही 700 मजदूरों को रातो-रात भगा दिया गया, क्योंकि शासन उनके खाने का व्यवस्था नहीं कर पाई।

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