रायपुर सड़क हादसा | कोरोना के बाद , रोजगार मिला तो जिंदगी नहीं ; ये भी पहचानना मुश्किल था कि किसका पैर और किसका हाथ

रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर में शनिवार तड़के हुई बस और ट्रक की भिड़ंत में 8 लोगों की मौत हो गई। जबकि 65 से ज्यादा लोग घायल हैं। इनमें से 5 अभी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। हादसे के समय बस में 75 लोग सवार थे। कोरोना ने इन मजदूरों का काम छीन लिया था। महामारी से बचकर किसी तरह ये घर पहुंचे। पांच माह बाद रोजगार मिला। एक उम्मीद जगी, लेकिन इस हादसे ने सब बर्बाद कर दिया।


टक्कर इतनी जोरदार थी कि एक मजदूर का शव ट्रक ड्राइवर के केबिन पर मिला

रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में घायल पड़े मजदूरों को क्या और कैसे हुआ कुछ नहीं पता। कहते हैं, वो सब सो रहे थे। अचानक से तेज धमाका हुआ। इसके बाद वो बस में फंस गए। दर्द से कराह रहे थे। कहते हैं कि बस के अंदर ही फंस गए थे। किसी तरह पुलिस और लोगों ने उन्हें बाहर निकाला। बताते हैं कि टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस में आगे बैठे एक मजदूर का शव ट्रक ड्राइवर के केबिन के ऊपर मिला।


ये भी पहचानना मुश्किल था कि किसका पैर और किसका हाथ

टीआई सोनल ग्वाला बताते हैं कि वे मौके पर पहुंचे तो कई लोग सड़क पर पड़े थे। उसमें शव भी थे। कुछ मजदूर बस की खिड़की से निकलने की कोशिश कर रहे थे। उनको एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया। बस के अंदर की हालत काफी बुरी थी। लोगों के हाथ-पैट कट गए थे। यह पहचानना तक मुश्किल हो रहा था कि कौन सा पैर-हाथ, किसका है। अस्पताल में पिकअप से शवों को उतारा गया तो कुछ के पैर कपड़ों से निकल कर गिर गए।

कोरोना के चलते सारे मजदूर लौट आए थे घर, फिर से बुलाया गया काम पर

ये सारे मजदूर ओडिशा के गुंजाम जिले के रहने वाले हैं। ये गुजरात के सूरत में कपड़ा व्यवसायी के यहां काम करते थे। कोरोना के चलते काम बंद हुआ तो किसी तरह वहां से अपने घरों को लौटे। पैदल चलकर अन्य संसाधनों से सफर तय किया। जब फिर कारोबार शुरू हुआ तो व्यापारी ने ही बस भेजकर इन्हें काम पर वापस बुलाया।, लेकिन इस बार सफर पूरा नहीं हो सका।

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