15 पंचायतों के 5000 ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में दिया धरना, पांच सूत्रीय मांगों का सौंपा ज्ञापन

बीजापुर: तेन्दूपत्ता मजदूरी के नगदी भुगतान, वर्ष18-19 की तेन्दूपत्ता बोनस का नगद भुगतान, छात्रवृति में बढ़ोत्तरी, आदिवासी ग्रामीण इलाकों में पुलिसिया अत्याचार बंद करने तथा ग्राम पंचायतों में स्कूल व अस्पताल खोलने की मांग को लेकर पारम्परिक हथियारों से लैस व देवी देवताओं के साथ करीब 5000 आदिवासी ग्रामीणों ने रैली निकाली।

ग्रामीणों की इस रैली में चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भागीदारी तो रही पर भीड़ उनके नेतृत्व को स्वीकार नही कर रही थी। गंगालूर इलाके से आये एक ग्रामीण का कहना था कि कई बार क्षेत्रीय विधायक व कलेक्टर को तेन्दूपत्ता मजदूरी का नगद भुगतान के बारे लिखित में मांग की गई तथा नगदी भुगतान न होने से होने वाले दिक्कतों के बारे में भी बताया गया पर नतीजा कुछ भी नही निकला जिसके कारण मजबूरी में मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने आना पड़ा। आज की प्रस्तावित रैली के लिए लोग पिछले दो से पैदल चल कर बीजापुर पहुंचे थे। यह ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा गया।

महेश गागणा ने लगाया आरोप

भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व वन मंत्री महेश गागणा ने आरोप लगाया है कि उन्हें बीजापुर जिला मुख्यालय में प्रवेश की अनुमति नही दी गई। और हमारे पदाधिकारियों को भी रैली में शामिल होने से रोका जा रहा है।

सुरक्षा कारणों से पुलिस प्रशासन द्वारा बीजापुर नगर में प्रवेश के स्थानों पर बेरिकेट्स लागये थे। तथा कोरोना संक्रमण को रोकने एहतियातन दुकानों को बंद रखने की सूचना नगरपालिका द्वारा अलसुबह दी गई थी।


ग्रामीण आदिवासी बीजापुर के भट्टीपारा स्थित चीकट राज गुड़ी के पास एकत्र हुए तथा रैली की शक्ल में कलेक्ट्रेड की ओर बढ़े हालांकि रास्ते मे पुलिस द्वारा बैरिकेट लगाये गए थे उसे भी धकेलते हुए आगे बढ़ गए। सीटियों व तुरही की आवाज से आक्रोश जताते ग्रामीण आगे बढ़ते रहे। कलेक्ट्रेड से 100 मीटर की दूरी पर ग्रामीणों को रोकने पर ग्रामीण गुस्सा में चिल्लाने लगे। सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट माइक से लगातार चेतावनी देते रहे कि यह रैली गैरकानूनी है तथा धारा 144 का उलंघन है पर भीड़ मनाने को तैयार नही थी। भीड़ को उग्र होता देख क्षेत्रीय विधायक और बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मण्डावी ने बीच बचाव किया तथा ग्रामीणों का प्रतिनिधि मंडल बना कलेक्टर रितेश अग्रवाल से भेंट किया इस दौरान ग्रामीणों ने दो दिन में अपनी मांगों को पूरा करने का समय दिया तथा मांग पूरी न होने की दशा में उग्र आंदोलन की बात कही।

विधायक विक्रम मंडावी ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिनिधिमंडल और शासन के बीच हुई बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है की बैंकों से गांव की दूरी व बारिश के मौसम को देखते हुए तेंदूपत्ता का भुगतान जहां पर बैंक की सुविधा नहीं है वहां नगद में किया जाएगा।

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