Complete Lockdown | देश में एक बार फिर लग सकता है कम्पलीट लाॅकडाउन, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और राज्यों से विचार करने को कहा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रविवार के अपने एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि दूसरी लहर के दौरान जिस रफ्तार से नए मामले बढ़ रहे हैं, उसके मद्देनजर पूरे देश में एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह भी कहा कि आवासीय प्रमाण पत्र या फिर पहचान पत्र के अभाव में किसी मरीज को अस्पताल में दाखिल होने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में पॉजिटिव लोगों के नए मामले निकलने की रफ्तार थम नहीं रही है। रोजाना लाखों की संख्या में वायरस से संक्रमित पाए जा रहे हैं और हजारों लोगों की मौत हो जा रही है। देश में मरीजों की तादाद इतनी अधिक बढ़ने की वजह से सरकार की ओर से की गई चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। कहीं अस्पतालों में बिस्तर की कमी है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों की जान गंवानी पड़ रही है।

दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, नीति आयोग के टास्क फोर्स के सदस्यों, विशेषज्ञों और अपने विदेशी समकक्षों से लगातार बैठकें कर बातचीत कर रहे हैं। वहीं, देश की अदालतें भी इस पर अपनी पैनी निगाह बनाए हुए है और लगातार केंद्र व राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर करीब 64 पेज में नया आदेश जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने अपने निर्देश में कहा है कि किसी भी मरीज को स्थानीय आवासीय प्रमाण पत्र या पहचान पत्र की कमी के लिए किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया चाहिए।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर अस्पतालों में भर्ती करने को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया, जिसका सभी राज्य सरकारों द्वारा पालन किया जाएगा और तब तक किसी भी मरीज को स्थानीय आवासीय प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के अभाव में प्रवेश या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकारों से अपील करते हैं कि वह ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाएं, जहां अधिक संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की संभावना हो सकती है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार जनहित में लॉकडाउन भी लगा सकती है।

हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि लॉकडाउन का सामाजिक और आर्थिक असर हाशिए पर रहने वाले समुदायों और मजदूरों पर पड़ सकता है। ऐसे में अगर सरकार लॉकडाउन लगाती है, तो वो इन समुदायों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पहले से ही व्यवस्था करे।

News Share
CIN News | Bharat timeline 2023