आखिर ऑस्कर को लेकर क्यों हो जाती है दुनिया दीवानी? फिल्मों के सलेक्शन से लेकर पैसों तक, सभी जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्लीः 24 जनवरी को इस साल के ऑस्कर अवॉर्ड्स की घोषणा हो जाएगी और फिलहाल पूरे देश में सिनेमाजगत के लोग सबसे ज्यादा इस अवॉर्ड की बात कर रहे हैं. दरअसल बीते मंगलवार को ऑस्कर अवॉर्ड्स की रिमाइंडर लिस्ट जारी हुई जिसमें 10 भारतीय फिल्मों को शामिल किया गया. 95वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में एसएस राजामौली की आरआरआर, संजय लीला भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़, रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट, विक्रांत रोणा, द कश्मीर फाइल्स, छेलो शो, इराविन निझल, मी वसंतराव, तुझया साथी काही  ही का नाम शामिल है. यानि ऑस्कर जीतने की दौड़ में इन 10 फिल्मों के जबरदस्त मौका है.

इस लिस्ट के जारी होने के बाद हमारे देश में कुछ इस तरह का माहौल बना कि लगा जैसे आखिरकार भारत का ऑस्कर अवॉर्ड्स का सपना पूरा हो गया. हालांकि अभी इन फिल्मों को ऑस्कर जीतने के लिए लंबा सफर तय करना है. आखिर ऑस्कर अवॉर्ड्स इतने जरूरी क्यों है. ऑस्कर अवार्ड्स होते क्या हैं और उसके बाद हम कोशिश करेंगे इस खबर से जुड़े कंफ्यजन को दूर करने की. 

ऑस्कर अवॉर्ड्स का इतिहास
ऑस्कर अकादमी पुरस्कार जिसे ऑस्कर अवॉर्ड्स के नाम से भी जाना जाता है, ये फिल्म जगत का सबसे बड़ा अवॉर्ड है. इसे अमेरिका की एकेडमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेस फिल्म निर्देशकों, एक्टर, राइटर जैसे फिल्म जगत से जुड़े प्रोफेशनल्स को उनके बेहतरीन काम को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है. 

इन अवॉर्ड्स को 1927 में उस समय के मोशन पि‍क्चर्स इंडस्ट्री के 36 सबसे प्रतिष्ठि‍त लोगों ने शुरू किया था. 1927 की शुरुआत में एम जी एम स्टूडियो के हेड लुइस बी मेयर, मेयर और उनके तीन गेस्ट्स एक्टर कॉनरेड नागेल, डायरेक्टर फ्रेड निबलो और प्रोड्यूसर फीड बीटसोन ने पूरे फि‍ल्म उद्योग को फायदा देने के लिए संगठन बनाने की योजना बनाई, जि‍ससे हो. उन्होंने फि‍ल्म उद्योग के मुख्य क्रि‍एटि‍व कामों से जुड़े लोगों के सामने यह प्रस्ताव रखने की योजना बनाई.

11 जनवरी 1927 को लॉस एंजि‍ल्स के एंबेसेडर होटल में इस उद्देश्य के लिए एक डिनर पार्टी की गई . जिसमें 36 लोगों ने भाग लिया और संगठन बनाने के प्रस्ताव पर बात की गई. उस डिनर पार्टी में उस समय की कई नामी हस्ति‍यां जॉर्ज कोहेन, जैसे मेयर, डॉग्लकस फेयरबैंक्सर, केडरि‍क गि‍ब्बं‍स, मेरी पि‍कफोर्ड, जेस्सेह लस्कीय, सेसि‍ल और इरविंग थालबर्ग बी डेमि‍ले, सि‍द ग्राउमेन, जैसे लोगों ने भाग लिया. सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन कि‍या और मार्च महीने के मध्य  में डॉग्लास फेयरबैंक्स की अद्यक्षता में संगठन के अधि‍कारी चुने गए.

11 मई 1927 को बि‍ल्ट मोर होटल में एकेडमी को राज्य द्वारा एक NGO के रूप में चार्टर की अनुमति मि‍लने के बाद औपचारि‍क दावत हुई. आपको मालूम हो कि तब 300 मेहमानों में से 230 ने 100 डॉलर की फीस देकर देकर एकेडमी की मेंबरशिप ली थी. थॉमस एडीसन को उसी रात एकेडमी की पहली मानद सदस्यता से सम्मानित कि‍या गया. शुरुआत में संगठन में एक्टर, डायरेक्टर, राइटर और टेक्नीशियन्स की शाखाएं स्थापि‍त की गईं थी.

कब दिया गया पहला ऑस्कर अवॉर्ड्स 
सबसे पहला एकेडमी अवार्ड्स समारोह हॉलीवुड रूजवेल्टू होटल में हुआ था. 16 मई 1929 को होटल के ब्लॉसम रूम हुए डिनर में 270 लोग शामिल हुए थे. ये एक पेड इवेंट ता जिसके टिकट की  कीमत 5 डॉलर थी . आपको बता दें 1929 में दिये गए ये अवॉर्ड 1927-1928 तक बनी फिल्मों से जुड़े 15 लोगों को दि‍ए गए थे. एक और हैरान करने वाली बात ये है कि आज जिस तरह का क्रेज दुनियाभर की मीडिया में इन अवॉर्ड्स के लिए देखा जाता है उस वक्त ऐसा नहीं था. पहले एकेडमी अवार्ड्स के दौरान मीडि‍या नदारद था.
 
कौन सी फिल्में ऑस्कर रेस में होती है शामिल 
ऑस्कर की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक कोई भी मोशन फिल्म जो अमेरिका के 6 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों लॉस एंजिल्स,  न्यूयॉर्क, शिकागो, इलिनोयस,  मियामी, फ्लोरिडा और अटलांटा, जॉर्जिया, में से कम से कम एक जगह कमर्शियल सिनेमागरों में दिखाई गई हो
फिल्म 40 मिनट से ज्यादा बड़ी होनी चाहिए.  फिल्म उस साल की 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच में शोकेस की गई हो और फिल्म एक ही थियेटर में कम से कम लगातार 7 दिनों तक चली हो. 

कैसे फिल्में ऑस्कर के लिए भेजी जाती है
ऑस्कर अवार्ड में विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म नाम से एक कैटेगरी होती है. इसी कैटेगरी में ऑस्कर एकेडमी दुनियाभर में बनने वाली फिल्मों को आमंत्रित करती हैं. हमारे देश से भी हर साल ऑस्कर के लिए फिल्मों को भेजा जाता है. 

ऑस्कर अवार्ड के लिए भारत की तरफ से फिल्मों को सेलेक्ट करने की जिम्मेदारी फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की कमेटी की होती है. मियम के मुताबिक वही पिल्म ऑस्कर में भेजी जा सकती है जो पिछले एक साल के दौरान देश के किसी सिनेमाहॉल में रिलीज हुई हो. 

इसके साथ ही फिल्म देश की किसी भी आधिकारिक भाषा में होनी चाहिए, लेकिन उसके  सबटाइटल्स अंग्रेजी में होना जरूरी होता है. इन शर्तों को पूरा करने वाली फिल्म को ही ऑस्कर एंट्री के तौर पर देश की तरफ से लिए भेजा जाता है.

इस बार भारत की ओर से छेल्लो शो नाम की गुजराती फिल्म को ऑस्कर एंट्री के तौर पर भेजा गया. आपको जानकर हैरानी होगी कि साल की सबसे चर्चित फिल्मों में से टॉप पांच फिल्में ही फाइनल में जाती हैं और उनमें से एक को ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा जाता है. 
हम आपको ऑस्कर पुरस्कार के आगे की प्रक्रिया के बारे में भी बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं उस लिस्ट के बारे में जिसने हमें कंफ्यूज कर दिया है. हम बात कर रहे हैं रिमांइडर लिस्ट की. 

क्या होती है ऑस्कर की रिमाइंडर लिस्ट

ऑस्कर की रिमाइंडर लिस्ट की बात करें तो एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज फाइनल राउंड से ठीक पहले इसे जारी करती है. इस रिमांइडर लिस्ट में शामिल फिल्मों को एकेडमी के मेंबर्स देखा चुके होते हैं और इन्हें अलग-अलग कैटेगरीज में नॉमिनेशन के लायक माना जा सकता है. इस बार एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने ऑस्कर के लायक 301 फीचर फिल्मों की एक रिमाइंडर लिस्ट जारी की है. जिसमें भारत की 10 फिल्में शामिल हैं. जिसके कारण 8 भारतीय फिल्मों को दोबारा ऑस्कर रेस में शामिल होने का मौका मिला है.  

इस लिस्ट के जारी होने के बाद ऑस्कर के जूरी मेंबर्स इन फिल्मों को देखते हैं और वोटिंग के हिसाब से अलग-अलग कैटेगरी में फिल्मों का चुनाव करते हैं. वैसे आपको बता दें कि रिमांइडर लिस्ट में शामिल होने का मतलब ये कतई नहीं है कि फिल्म को फाइनल नॉमिनेशन में जगह मिलेगी. यानि फाइनल राउंड में जगह मिल भी सकती है और नहीं भी.

रिमाइंडर लिस्ट के बाद क्या होगा 
रिमाइंडर लिस्ट वाली 301 फिल्मों ऑस्कर जूरी मेंबर्स देखेंगे और फिर वोटिंग के आधार पर हर कैटेगरी में टॉप फिल्मों या कलाकारों का सेलेक्शन करेंगे. 11 से 17 जनवरी तक वोटिंग होगी जिसके बाद 24 जनवरी को फाइनल नॉमिनेशन लिस्ट जारी की जाएगी. इसके बाद 13 मार्च, 2023 को आयोजित होने वाली 95वीं ऑस्कर सेरेमनी के दौरान विजेता फिल्मों और कलाकारों को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. 

कैसे होती है वोटिंग 
अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स ऑर्टस एंड साइंसेस की अपनी 6000 प्रोफेशनल मेंबर्स की एक रिसर्च टीम है. इस टीम में एक्टर, डायरेक्टर्स, म्यूजिशिएन, प्रोड्यूसर, राइटर्स, डिजाइनर, डॉक्यूमेंट्री, एक्जीक्यूटिव्स, सिनेमैटोग्राफर्स,फिल्म एडिटर, हेयर स्टाइलिस्ट, मेकअप आर्टिस्ट, साउंड,विजुअल इफेक्ट और पब्लिक रिलेशन, प्रमुख रूप से शामिल होते हैं.

यही लोग फिल्मों के नॉमिनेशन को हर मापदंड पर परखने के बाद तय करते हैं. फिल्म के मेकर्स को ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने के लिए इन सभी मेंबर्स को अपनी फिल्मों दिकानी होती है. जिसके लिए फिल्म की स्क्रीनिंग की जाती है. ऑस्कर में स्क्रीनिंग के साथ-साथ वोटर्स को बुलाने और थियेटर, नाश्ते और कई अलग तरह के खर्च होते हैं. जिससे फिल्म को बेहतर पब्लिसिटी मिल सके और वो वोटर्स की नजरों में आ सके.

ऑस्कर अवॉर्ड्स में नहीं मिलता है कैश प्राइज 
अकेडमी अवार्ड ऑफ़ मेरिट को ही पॉपुलरतौर ऑस्कर अवॉर्ड के तौर पर जाना जाता है. इस ट्रॉफी की बात करें तो तांबे की धातु से बनी इस मूर्ति पर सोने की परत चढ़ी होती है. ऑस्कर ट्रॉफी 13.5 इंच (34 सेमी) लंबी होती है वहीं इसका वजन 8.5 पाउंड (3.85 किलो) होता है. डिजायन की बात करें तो ट्राफी में एक योद्धा की आकृति दिकती है जिसे आर्ट डेको में बनाया गया है. ये योद्धा तलवार लेकर पांच तिल्लियों वाली एक फिल्म रील पर खड़ा है. पांच तिल्लियां एकेडमी की मुख्य शाखाओं एक्टर, डायरेक्टर, राइटर, प्रोड्यूसर और टेक्नीशियन्स का प्रतिनिधित्व करती है.

आपको मालूम हो कि ऑस्कर अवॉर्ड विजेता को ये ट्रॉफी ही मिलती है. किसी भी तरह का कैश प्राइज नहीं दिया जाता है लेकिन अवॉर्ड जीतने वाले की मार्केट वैल्यू बढ़ जाती है यानि वो अपने काम के लिए कितनी भी कीमत मांग सकता है. वहीं एक और बात ध्यान देने वाली है कि ऑस्कर विजेता को ट्रॉफी पर मालिकाना हक नहीं मिलता है. विजेता किसी भी हालात में ट्रॉफी को कहीं और बेच नहीं सकता. 

अगर कोई विजेता इस ट्रॉफी को बेचना चाहता है तो उसे इसे एकेडमी को ही बेचना होगा. जो इस ट्राफी को मात्र 1 डॉलर में खरीद सकती है 

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