JAGDALPUR | कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे डेढ़ लाख बच्चे, राज्य सरकार बीमारी करने के लिए लेगी आयुर्वेद का सहारा

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का बस्तर संभाग (Bastar Division) कुपोषण (malnutrition) जैसी गंभीर बीमारी से आज भी जूझ रहा है, राज्य सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर चलाए जा रहे कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान में भी कुछ खास फायदा नहीं मिलता दिखाई दे रहा है. देश के अलग-अलग राज्यों में जड़ी बूटियों से कुपोषित बच्चों के इलाज में मिल रही सफलता को देखते हुए बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले में इस तरह के आयुर्वेदिक इलाज की शुरुआत की जा रही है.

कुपोषण को ठीक करने के लिए आयुर्वेद से जो परिणाम देखने को मिल रहे हैं उसको देखते हुए राज्य सरकार सबसे पहले कोंडागांव जिले के दो सरकारी औषधालय केंद्रों में इसकी शुरुआत करने जा रहा है. आने वाले 3 महीनों में अगर इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं तो बस्तर संभाग के सभी 7 जिलों में आयुर्वेदिक इलाज शुरू की जाएगी. वर्तमान में बस्तर संभाग में 1 लाख 50 हज़ार बच्चे कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं.

दो सालों में बढ़ा कुपोषण का प्रतिशत
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में कुपोषण की बीमारी से निजात दिलाने के लिए पूरे संभाग में 34 पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं. इन पुनर्वास केंद्रों में 15 दिनों तक गंभीर कुपोषित बच्चे को रखकर उनका इलाज किया जाता है. इसके अलावा  प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान की भी  शुरुआत की और इस अभियान के तहत एक एक कुपोषित बच्चे को भरपूर आहार मिले और उसे बेहतर इलाज मिले इसके लिए करोड़ों रुपए की राशि भी खर्च की गई लेकिन इस अभियान का कुछ खास फायदा होते नजर नहीं आया. इधर पिछले 2 सालों में करोनाकाल के दौरान संभाग में कुपोषित बच्चों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ, जिस वजह से सरकार की चिंता बढ़ गई. अब कुपोषण की बीमारी से निजात के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में आयुर्वेदिक उपचार से मिल रही सफलता के बाद बस्तर के कोंडागांव जिले में इसकी शुरुआत हो रही है.

दो केंद्रों में हो रही आयुर्वेदिक इलाज की शुरुआत
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. जे.आर नेताम ने बताया कि जिले में जिस दो केंद्रों का चयन किया गया है. इस केंद्रों के आसपास कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है. इसे ही ध्यान में रखते हुए बीजापुर और दहिकोंगा में मौजूद इन 2 औषधालय केंद्रों में इनका इलाज जड़ी बूटियों से  किया जाएगा और इस महीने के अंत तक कुपोषित बच्चो का इलाज शुरू कर किया जाएगा. वहीं पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 2 औषधालय में शुरू होने वाली इस योजना के सफल होने के बाद इसे संभाग के अन्य जिले में शुरू किया जाएगा.

कोंडागांव में 10 हजार बच्चे कुपोषित 
गौरतलब है कि कोंडागांव जिले में भी कुपोषण एक गंभीर समस्या है. प्रदेश सरकार द्वारा इसे दूर करने के लिए अनेक योजनाएं लागू की गई है लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिल रहे हैं. वहीं अब तक हुए प्रयासों में जड़ी बूटी की औषधि, खीर, तेल मालिश करके बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के अभिनव प्रयोग में चौकाने वाले परिणाम सामने आए है, जिसे देखते हुए इसे शुरू किया गया है. डॉ जे आर नेताम ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर पहले मध्यम कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाएगा और परिणाम अच्छे मिलने पर गंभीर कुपोषित बच्चों का भी इलाज किया जाएगा. इधर कोंडागांव जिले में ही 10 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और जिसमें 8245 बच्चे मध्यम कुपोषित हैं. हालांकि इस योजना के तहत अब कौन सी दवाएं  बच्चों को दी जाएगी इसको लेकर अब तक कोई आदेश नहीं मिला है.

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