BREAKING | सुपेबेडा में किडनी पिडित एक और मरीज की मौत…. बीते 3 सालों में 70 मौतें का आकडा पार कर चुका हो यह एक गांव…. सुपेबेडा के हर घर में पीड़ित नजर आ रहे है… शासन प्रशासन प्रति सप्ताह लगा रहा है स्वास्थ्य कैंप

फारुख मेमन

गरियाबंद:

सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी सुपेबेड़ा में मौतों का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा आज फिर एक किटनी पीड़ित की मौत हो गई पूरनधर पुरैना बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था। गांव में किडनी पीड़ितों  के लिए वह समय-समय पर आवाज उठाता रहा पर आज उसकी मौत पर पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया एक बार फिर गांव में सन्नाटा पसर गया है क्योंकि इस गांव में आज भी  किटनी का कोई  ना कोई मरीज जरूर है गांव में अभी भी 100 से अधिक लोगों को किडनी की बीमारी ने घेर रखा है ऐसे में हर घर में डर समया हुए है कि कहीं अगली बारी उनके परिवार से किसी का….. हालांकि वर्तमान सरकार पूरी तरह इस गांव की चिंता में लगी हुई है लगातार सप्ताह 2 सप्ताह में कैंप कर लोगों को राहत देने का प्रयास में जुटी हुई है किंतु जिन्हें किडनी की बीमारी है उसे पूरी तरह ठीक करना संभव नहीं हो पा रहा है

विपक्ष में रहते हुए खुद भूपेश बघेल इस गांव पहुंचे थे और सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव इस गांव का दौरा कर चुके हैं दोनों ने अपने अपने स्तर पर कई वादे ग्रामीणों से किए ग्रामीणों को  दशा सुधारने की उम्मीद भी है किडनी की यह बीमारी दूषित जल(हैबी मेटल) की वजह से फैली है जिसके चलते तेल नदी से पानी लाने का प्रयास किया गया किंतु वह ठीक ढंग से सफल नहीं हो पाया जिसके बाद गांव में 6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए अथक प्रयासों में कमी नहीं रही मगर फिर भी मौत होने के चलते कई तरह से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मौतों के सिलसिले को रोकने और क्या किया जा सकता है यहां के ग्रामीण पिछली सरकार के समय विस्थापन की मांग कर चुके हैं और जब स्थितियां नहीं सुधर रही थी तब पिछली सरकार से उन्होंने अपने गांव को उड़ीसा में शामिल करने की मांग तक कर डाली थी हालांकि इस मामले से जुड़े तथ्यों को देखें तो बीते 6 माह से गांव की स्थितियां पहले से काफी बेहतर है ।बीते 4 माह से किसी की मौत नहीं हुई थी जबकि पूर्व मे महीने में एक-दो मौत तो होती ही थी कुल मिलाकर मौत के साए में जीते सुपेबेड़ा के लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं गांव में विधवा महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और गांव के हर परिवार से किसी न किसी की मौत किडनी की बीमारी से हुई है जिसके चलते लोगों में एक तरह से डर समाया हुआ है किंतु वहीं शासन-प्रशासन भी अब पूर्व की अपेक्षा काफी सक्रिय हो चला है दरसल किडनी बीमारी में एक विशेषता यह होती है कि एक बार जिसे यह रोग लग जाता है फिर इसका छूटना आसान नहीं होता हालांकि दवाइयों के भरोसे आप उस मरीज को लंबा जीवन दे सकते हैं किंतु किडनी के चलते लंबे समय तक आदमी को पुरी तरह स्वास्थ्य रखना संभव नहीं होता इन स्थितियों में गांव के लोग काफी चिंतित हैं वही सरकार भी इनके लिए डायलिसिस मशीन के रूप में देवभोग में मशीन तो ला कर रख दिया है किंतु उसके समुचित संचालन की व्यवस्था अब तक नहीं कर पाई है जिसके चलते लोगों में भी काफी चिंता बनी हुई है शासन प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द इस डायलिसिस मशीन को प्रारंभ किया जाए जिससे वहां के लोगों की कुछ चिंता दूर हो और कम से कम डायलिसिस के भरोसे ही कुछ दिन और जिंदगी बढ़ा सकते हैं

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