ड्रग्स का गोरखधंधा: ड्रग्स पैडलर्स में पुलिस के जवान सहित हाईप्रोफाइल लोगों के नाम आए सामने, चाॅकलेट और केक के नाम से बेचते थे ड्रग्स, 15 लाख का ड्रग्स पुलिस ने किया जब्त, जानिए पुलिस के हाथ कैसे लगे 7 ड्रग्स पैडलर्स

रमेश गुप्ता

रायपुर: अब तक के सबसे बड़े ड्रग्स के सौदागरों को पुलिस ने धर दबोचा है। 15 लाख के ड्रग्स साथ पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफतार किया है जो नशे के कारोबार में संलिप्त थे। ये नए ग्राहकों की तलाश भी करते थे, जो ज्यादातर काॅलेज के स्टूडेंटस हुआ करते थे। आज आईजी आनंद छाबड़ा, एसएसपी अजय यादव ने संयुक्त प्रेस काॅन्फ्रेंस कर इन नशे के कारोबारियों का भंडाफोड़ कर दिया और मामले में सलिप्त अन्य लोगों के नाम भी उजागर किए।

ड्रग्स के कारोबियों तक कैसे पहुंचे
30 सिंतबर को थाना कोतवाली में सूचना मिली कि बैरन बाजार स्थित शासकीय पाॅलीटेक्निक के सामने रोड पर 02 व्यक्ति एम.डी.एम.ए. को बेच रहे हैं। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने पुलिस अधीक्षक शहर लखन पटले, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध अभिषेक माहेश्वरी, नगर पुलिस अधीक्षक कोतवाली डी.सी. पटेल, प्रभारी सायबर सेल श्री रमाकांत साहू एवं थाना प्रभारी कोतवाली आर.के.पात्रे को आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ने के निर्देश दिये गये। जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में एक विशेष टीम का गठन किया गया।

टीम उस जगह पर पहुंची और उन्होंने घेराबंदी कर आरोपी श्रेयांस झाबक एवं विकास बंछोर को एम.डी.एम.ए. के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया। आरोपियों के कब्जे से 17 ग्राम एम.डी.एम.ए. जिसकी कीमत लगभग 1,70,000 रूपये होती है, जप्त किया और आरोपियों के विरूद्ध थाना कोतवाली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। गिरफ्तार आरोपियों से टीम द्वारा इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों के संबंध में पूछताछ की गई तथा आरोपियों द्वारा एम.डी.एम.ए. कहां से एवं किन – किन व्यक्तियों से लाया जाता है के संबंध में कड़ाई से पूछताछ भी की गयी।

कई नामों का हुआ खुलासा, खास कोड का करते थे इस्तेमाल
पुलिस पूछताछ मंे ड्रग्स पैडलर्स टूट गए और उन्होंने इस काले कारोबार से जुड़े लोगांे के नाम उजागर कर दिए। उनके द्वारा दी जानकारी के आधार पर 10 दिनों मंे आरोपियों की पहचान सुनिश्चित की गयी। पुलिस को यह भी जानकारी मिली की ड्रग्स के कारोबार से जुड़े हुये आरोपी एक-दूसरे के नाम के लिए कोड वर्ड इस्तेमाल करते थे और एक-दूसरे को उसी कोड-वर्ड से पहचानते थे।

आरोपियों का ऐसा जुड़ा कारवंा
ड्रग्स के कारोबार सबसे पहले मिन्हाज मेमन बिलासपुर में प्रारंभ किया था और कुछ दिनों पश्चात् ही उसने अभिषेक उर्फ डेविड को अपने साथ इस व्यवसाय में शामिल कर लिया। दोनों इसी दौरान पुणे जाकर 02 – 03 बार ड्रग्स लेकर रायपुर व बिलासपुर में बिक्री किये थे परंतु पैसे की विवाद को लेकर दोनों के मध्य कुछ दिनों पश्चात् अनबन हो गई थी इसलिये दोनों एक – दूसरे से अलग – अलग कारोबार करने लगे। इसी दौरान ड्रग्स के कारोबार में अभिषेक का अच्छा संपर्क बन चुका था। अलग कारोबार करने के दौरान अभिषेक अपने अन्य साथी एलिन सोरेन के संपर्क में आया। एलिन सोरेन गोवा में रहकर होटल मैजेनमेंट की पढ़ाई करता है इसी दौरान वह गोवा में ड्रग्स का कारोबार करने वाले नाइजीरियन (नीग्रो) के संपर्क में आया तथा वह भी इस व्यवसाय में जुड़ गया।

एलिन सोरेन ने गोवा में अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड़ का संपर्क नाइजीरियन (नीग्रो) से कराया तब से अभिषेक अपने पेडलर रोहित आहूजा और राकेश अरोरा के साथ कई बार जाकर ड्रग्स गोवा से लेकर आये और बिक्री करने लगे। लक्ष्मण गाईन जो जी.आर.पी. में आरक्षक के पद पर बिलासपुर में कार्यरत है ने अभिषेक को ड्रग्स के लिये पैसा फायनेंस प्रारंभ कर दिया। अभिषेक और लक्ष्मण बिलासपुर में क्रिकेट खेलने के दौरान संपर्क में आये थे तब से कई बार लक्ष्मण की वर्ना कार से भी ड्रग्स लेने गोवा गये है। दिनांक 27.09.2020 केा भी लक्ष्मण और अभिषेक रायपुर में ड्रग्स की डिलीवरी करने आये थे जो पुलिस को भनक लगने पर भाग गये थे। रोहित और राकेश अरोरा को रायपुर व बिलासपुर में एक बार का ड्रग्स सप्लाई करने पर 1,000रूपये अभिषेक द्वारा दिया जाता था। चूंकि राकेश और रोहित गरीब तपके से है इसलिये अभिषेक ने उनको पैसा उधार लेने पर 08 प्रतिशत ब्याज लेकर दबा रखा था और राकेश की एक्टिवा वाहन को भी रख लिया था।

27 सिंतबर को अभिषेक और लक्ष्मण गाईन के रायपुर आने की भनक सायबर सेल को लग जाने के पश्चात् और विकास बंछोर और श्रेयांस झाबक की गिरफ्तारी पश्चात् पकड़े जाने के डर से अपना मोबाईल फोन रास्ते में फेंक दिये और नया मोबाईल नंबर लेकर अपने रिश्तेदारी में इलाहाबाद जाकर छिप गया था, जिसे तत्परता पूर्वक सायबर सेल की टीम द्वारा इलाहाबाद से हिरासत में लेकर रायपुर लाकर पूछताछ किया गया तो उसने संपूर्ण ड्रग्स रैकेट का खुलासा किया और उसके निशानदेही पर आरोपी अभिषेक उर्फ डेविड द्वारा तिफरा बिलासपुर स्थित घर से 93 ग्राम एम.डी.एम.ए. कीमती लगभग 15,00,000ध्-रूपये जप्त किया गया। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसके साथ इस काले कारोबार में मिन्हाज मेमन उर्फ हनी एलिन सोरेन, रोहित आहूजा, राकेश अरोरा उर्फ सोनू, लक्ष्मण गाईन एवं अब्दुल अजीज उर्फ सद्दाम जुड़े है। जिसके आधार पर आरोपी मोह0 मिन्हाज उर्फ हनी, एलेन सोरेन, रोहित आहूजा, राकेश अरोरा, अब्दुल अजीम उर्फ सद्दाम एवं लक्ष्मण गाईन को बिलासपुर के अलग – अलग स्थानों से पकड़कर गिरफ्तार किया गया।

अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड़ आरोपी रोहित आहूजा और राकेश उर्फ सोनू अरोरा के माध्यम से राज्य के बिलासपुर एवं रायपुर जिलों में सप्लाई करते थे। आरोपी लक्ष्मण गाईन के कब्जे से घटना मंे प्रयुक्त हुण्डई वर्ना कार क्रमांक सी जीध्04ध्एच क्यूध्1011 को भी जप्त किया गया है। इस तरह से रायपुर पुलिस द्वारा इस ड्रग्स के काले कारोबार से जुड़े पूरे नेटवर्क को तोड़ते हुये सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। रायपुर के 05 अन्य ड्रग्स कारोबारी का नाम सामने आया है जो आरोपी श्रेयांस झाबक एवं विकास बंछोर की गिरफ्तारी के बाद से फरार हो गये है, जिनकी पतासाजी की जा रही है। इसके अलावा कई अन्य ग्राहक जो ड्रग्स क्रय करते थे सभी फरार हो गये है, जिनकी पतासाजी की जा रही है। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई कि आरोपी मिन्हाज मेमन अपने साथी सद्दाम के साथ रायपुर के कई क्लबों में भी ड्रग्स की सप्लाई करता था, जिसके संबंध में विस्तृत पूछताछ करते हुये जानकारी एकत्रित की जा रही है।

आरोपियों द्वारा ड्रग्स की लत लगाने के लिये ग्राहकों को पहले सस्ते दाम में ड्रग्स दिया जाता है और लत लगने के बाद अधिक दामों में बिक्री किया जाता था। रायपुर पुलिस द्वारा ड्रग्स कारोबारियों के विरूद्ध अब तक की पहली व सबसे बड़ी कार्यवाही की गई। नशा का कारोबार करने वाले कारोबारियों के विरूद्ध रायपुर पुलिस का अभियान लगातार जारी रहेगा।

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