RAIPUR | छत्तीसगढ ब्लैक और रेड राइस की खेती कर किसान कमा रहे दोगुना मुनाफा, 125 रुपये में बिक रहा 1Kg

रायपुर: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां चावल के कद्रदानों की भी कमी नहीं है। चावल की एक से बढ़कर एक वैरायटी प्रदेश के किसान उगा रहे हैं। ऐसे में औषधीय गुणों से भरपूर ब्लैक और रेड राइस भी लगाकर किसान दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं। इसी महीने के पहले सप्ताह राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में लगी प्रदर्शनी में आए महासमुंद जिले के बाघामुड़ा गांव के किसान यादराम साहू ने बताया कि ब्लैक और रेड राइस का उत्पादन पूरी तरह जैविक तरीके से होता है, जिसमें खाद से लेकर उर्वरक और कीटनाशकों के लिए जैविक उत्पादों का ही उपयोग किया जाता है।

किसान बताते हैं कि सामान्य धान की खेती की तरह ही ब्लैक और रेड राइस के लिए धान की खेती की जाती है। इसी तरह बालोद के पेटेचुआ गांव की कृषक छबि राठी ने बताया कि ब्लैक और रेड राइस की पैदावार सामान्य चावल की अपेक्षाकृत कम होती है और इसलिए फिलहाल छत्तीसगढ़ के किसान मिलने वाले ऑर्डर के अनुसार ब्लैक और रेड राइस की खेती कर रहे हैं। हालांकि इनका कहना है कि लगातार मिलने वाले ऑर्डर में भी बढ़ोतरी हो रही है।

रेड और ब्लैक राइस में ये है खूबी
बालोद गुरूर के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जय सिंह सेंगर ने बताया कि जैविक ब्लैक और रेड राइस में एंटी ऑक्सीडेंट,जिंक, कॉपर, मैगनिज़ पौटेशियम, आयरन, पोटेशियम, आयरन विटामिंस और जिंक की भरपूर मात्रा होती है। ऐसे में यह चावल शुगर और हार्ट पेशेंट के लिए औषधीय गुणों से भरपूर होती है. साथ ही कुपोषण दूर करने में भी यह चावल काफी मददगार साबित होती है। सामान्य चावल की अपेक्षा इसकी पैदावार कम होने की वजह से रेड और ब्लैक राइस की कीमत 100 से 125 रुपये प्रति किलो रखी गई है। जिससे किसानों को दोगुना मुनाफा मिल रहा है। इसकी डिमांड भी लगातार बढ़ रही है।

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