SURGUJA | साइकिल वितरण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को ग्रामीणों ने घेर लिया, एल्युमिना रिफाइनरी फैक्ट्री का विरोध

सरगुजा: जिले के ग्राम चिरंगा में गुरुवार को उस समय हालात बिगड़ गए, जब साइकिल वितरण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को ग्रामीणों ने घेर लिया। ग्राम चिरंगा में खुलने वाले मां कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफाइनरी फैक्ट्री को लेकर पिछले कई सालों से ग्रामीण विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। जैसे-तैसे मंत्री तो वहां से निकल गए, लेकिन SDM, जनपद CEO, तहसीलदार सहित अन्य अफसरों को ग्रामीणों ने डेढ़ घंटे तक घेरकर रखा।

ग्रामीणों ने कहा कि वे मंत्री अमरजीत भगत के सामने अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने उनकी बात सुनी ही नहीं। इस बात पर अधिकारियों ने गांववालों को आश्वासन दिया कि उनकी बात मंत्री तक पहुंचा दी जाएगी, तब भी ग्रामीणों का आक्रोश कम नहीं हुआ और वे अफसरों की कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं हुए। जब ग्रामीणों से वादा किया गया कि चिरंगा से 15 किमी दूर करदना में साइकिल वितरण कार्यक्रम में मंत्री अमरजीत भगत से मिलवा दिया जाएगा, तब अफसरों को ग्रामीणों ने छोड़ा।

वहीं जब मंत्री और अफसर वहां पहुंच गए, तो ग्रामीणों ने फिर वहां मंत्री से बात कराने के लिए अफसरों से कहा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और फिर मंत्री को गांववालों ने घेर लिया। इसके बाद तुरंत मंत्री अमरजीत भगत के सुरक्षाकर्मी एक्टिव हुए। उन्होंने बड़ी ही मुश्किल से मंत्री अमरजीत को किसी तरह से लोगों की भीड़ से बाहर निकाला और गाड़ी में बिठाया। मंत्री तो वहां से निकल गए, लेकिन अधिकारियों को गांववालों ने घर लिया। गुस्साए लोगों को देखकर पुलिस बुलानी पड़ी। यहां ग्रामीणों ने करीब डेढ़ घंटे तक अफसरों को फिर से घेरे रखा।

इस मामले में खाद्य मंत्री से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि मैं ग्रामीणों के साथ हूं। अगर ग्रामीण चाहेंगे, तभी प्लांट लगेगा, अन्यथा प्लांट नहीं लगने दिया जाएगा, लेकिन ग्रामीणों को भी एकजुट होना होगा, तब कहीं जाकर इसका समाधान हो सकेगा।

ग्रामीणों कहना है कि एल्युमिना प्लांट खुलने से 90 लाख मिलियन क्यूबिक मीटर पानी लगेगा। अगर इतने पानी की खपत होगी, तो घुनघुटा नदी सहित वहां के आसपास के नदी-नाले सूख जाएंगे। कंपनी 12 माह एल्यूमिनियम का उत्पादन करेगी, तो प्लांट से प्रदूषण भी होगा और इससे वहां उनका रहना मुश्किल हो जाएगा। ग्रामीण इससे पहले भी कई बार विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं, तो जनसुनवाई में भी अफसरों को विरोध के कारण जान बचाकर भागना पड़ा था। इतना ही नहीं ग्रामीण इससे पहले नेशनल हाईवे भी कई बार जाम कर चुके हैं।

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