RAIPUR | झीरम घाटी न्यायिक जांच रिपोर्ट सियासत पर गर्म, पूर्व सीएम ने कहा- न्यायालय का हुआ अपमान, जानिए CM भूपेश बघेल ने क्या कहा

रायपुर: झीरम घाटी न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने और जांच आयोग में दो सदस्यों की नियुक्ति के बाद सूबे की सियासत गर्म है। राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार द्वारा नए सिरे से जांच कराने को न्यायालय का अपमान बताया तो वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रिपोर्ट पूरी ही नहीं हुई, जांच अधूरी है और आयोग के अध्यक्ष का तबादला हो गया। वैध विकल्प के आधार पर नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है तो इसमें न्यायालय का अपमान कैसे हो गया। सीएम ने कहा कि रिपोर्ट अधूरी है इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

प्रदेश भाजपा कार्यालय में डा. रमन सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच का फैसला डा. रमन का नहीं था, बल्कि यह कैबिनेट का फैसला था। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस से आग्रह कर नाम मांगा गया था और फिर उनकी ओर से नाम की अनुशंसा की गई थी। झीरम घाटी में रिपोर्ट सौंपने के बाद अब नए सिरे से जांच करना न्यायालय का अपमान है। पूर्व सीएम के इस बयान के बाद सीएम ने भी पलटवार किया। भूपेश बघेल ने कहा कि तब रमन सिंह की सरकार ने आयोग बनाया था। 20 बार जांच का समय बढ़ाया गया। जून 2021 में आयोग के सचिव ने बताया था कि जांच पूरी नहीं हुई है। इसके कुछ दिनों बाद उनका ट्रांसफर हो गया, फिर वही रिपोर्ट राजभवन को दिए जाने की खबर मीडिया के जरिए हमें मिली। जब रिपोर्ट ही अधूरी है तो फिर कैसे सौंप दी गई।

राजभवन से सौंपी गई रिपोर्ट

सीएम ने कहा कि मेरे कार्यालय के अफसरों ने मुझे बताया है कि राजभवन से वह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि हमने दो सदस्यों की टीम फिर से बनाई है जो इस अधूरी जांच को आगे पूरा करेगी। हमने विधि विभाग से सलाह लेकर वैध विकल्प के आधार पर ही यह फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रिपोर्ट अधूरी है। सीएम ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के बयान पर कहा कि उन्होंने देश के महापुरुषों का अपमान किया है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। 

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