रियल बजरंगी भाईजान से मिलिए, एसआई राजेश कुमार अब तक 672 लापता लोगों को पहुंचा चुके हैं घर

नई दिल्लीः अपने परिवार से बिछड़ने का ग़म और वापस मिलने की ख़ुशी. ये वो दो एहसास हैं, जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. इसका अंदाज़ा सिर्फ़ वो ही लगा सकता है, जिस पर बीती है. इस दुनिया में बहुत से लोग हैं, जो अपनों से दूर होकर लापता हो जाते हैं. परिवार वाले उन्हें तलाशते रहते हैं, लेकिन अक़्सर वो मिलते नहीं.

ऐसे में अगर कोई उन्हें तलाश कर आप तक पहुंचा दे तो यक़ीनन किसी मसीहा से कम नहीं है. सब-इंस्पेक्टर राजेश कुमार एक ऐसे ही मसीहा हैं, जो 672 बिछड़ों को उनके परिवार से मिला चुके हैं. इसलिए दुनिया इन्हें वर्दीवाला बजरंगी भाईजान भी कहती है.

6 साल में 672 लोगों को परिवार से मिलवाया
SI राजेश कुमार हरियाणा पुलिस स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग में तैनात हैं. साल 2000 में वो बतौर पुलिस कांस्टेबल भर्ती हुए थे. 2016 से वो गुमशुदा लोगों को ढूंढकर उनके परिवार से मिलाने का काम शुरू किया. इन 6 सालों में उन्होंने 672 लोगों को उनके परिवार से मिलवाया है.

एक लड़की को तो उन्होंने 16 साल बाद उसके परिवार से मिलवाया. लड़की का नाम मुन्नी है, जो 7 साल की उम्र में अपने माता-पिता से बिछड़ गई थी. लड़की को बस अपने परिवार की धुंधली याद ही थी. राजेश कुमार ने इसी के सहारे मुन्नी के गांव का पता लगा लिया. वो भी महज़ 4 महीने में.

ऐसे ही उन्होंने एक डेढ़ साल के गुमशुदा बच्चे को डायपर की मदद से उसके परिवार से मिलवाया. दरअसल, बच्चे ने लोकल ब्रांड का डायपर पहना था. राजेश कुमार ने खोजना शुरू किया कि आख़िर ये डायपर कहां मिलता है. इस तरह वो बच्चे के परिवार तक पहुंच गए.

SI राजेश कुमार पर छप चुकी है किताब
राजेश कुमार ने बहुत से लोगों को परिवार से मिलवाया. इसमें कई बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं. उन्होंने अधिकतर मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को उनके परिवार से मिलाया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनके का को सराहना मिली है. नेपाल, दुबई और यूके तक में उनके काम को लेकर ख़बरें छपीं. यहां तक उन पर ‘The Book of Hope’ नाम की किताब भी छप चुकी है.

वाक़ई, SI राजेश कुमार जिस तरह का काम कर रहे हैं, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है. ऐसे पुलिस वाले की कहानी को अधिक से अधिक लोगों तक शेयर भी करना चाहिए.

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