RAIPUR | कृषि बिल पर प्रमोद दुबे का बड़ा बयान : बोले किसान के जरिए कारपोरेट बनेंगे आत्मनिर्भर – VIDEO

रायपुर: कांग्रेस नेता एवं नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने कृषि बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा की केंद्र द्वारा लाये गए कृषि बिल से किसान के जरिए कारपोरेट आत्मनिर्भर बनेंगे।

प्रमोद दुबे ने बताया कि 3 नए कानून जिस पर पहला किसान कहीं भी अपनी फसल को जाकर बेच सकता है दिग्भ्रमित करने वाला है ,क्योंकि पूर्व में भी किसान को यह छूट थी कि अपनी फसल को किसी भी मंडी में ले जाकर बेच सकता है लेकिन ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को उठाना किसान के लिए संभव नहीं था। दूसरा कांट्रैक्ट फार्मिंग बिल जिसमें किसानों के उपज पर एमएसपी की बाध्यता नहीं दी गई है इसके चलते शुरू शुरू में कंपनी द्वारा किसानों को अच्छे दाम मिल जाएंगे दो-तीन साल पश्चात अमेज़न जैसे फ्री डिलीवरी शुरू में देता था बाद में बड़ी राशि लेना शुरू कर दिया फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी जो शुरू में फ्री सर्विस देते थे आज उन्होंने भी बड़ी राशि लेना शुरू कर दिया है।

इसी प्रकार अब इस बिल के माध्यम से किसान के जरिए कारपोरेट आत्मनिर्भर बनेंगे। सरकार किसानों को दुगुनी आय की बात 2014 से कर रही थी। प्रमोद दुबे ने कहा है कि वर्तमान हालात ऐसे हैं की दोगुनी आय किसान के तो छोड़ दीजिए लागत मूल्य निकल जाए यही बहुत बड़ी बात है। गत वर्ष भरपूर उत्पादन के बावजूद किसानों को अपनी फसल की सही कीमत नहीं मिल पाई मध्य प्रदेश जहां भाजपा की सरकार है मंडियों में मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रु था वर्तमान में 550 से ₹700 प्रति क्विंटल बिक रहा है, कपास की दुर्गति हो रखी है, कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹5500 प्रति क्विंटल है और बिक रहा है 3000 से ₹3500 प्रति क्विंटल की दर से ,अभी तो फसल आने की शुरुआत हुई है।

इसी प्रकार 3 री पालिसी होल्डिंग जमा पॉलिसी लाई गई है। जिसमें सरकार यह जानती है कि भारत देश में 80% किसान ऐसे हैं जिन की खेती एक हेक्टेयर से कम कम है। फिर इतने छोटे सीमांत किसान कैसे अपने फसल को स्टोरेज बनाकर रखेंगे स्टोरेज बनाने की ताकत क्या किसानों की वर्तमान में है, इससे यह साबित होता है कि अडानी और अंबानी तथा जिओ मार्ट जैसी बड़ी कंपनियां जो पूर्व से अपने बड़े-बड़े गोदाम बना कर रखी है उन्हीं के लिए यह बिल फायदेमंद है।

भारतीय जनता पार्टी को यह समझना चाहिए कि जब उन्हीं की अधिकृत किसान संघ द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है तो यह बिल की विश्वसनीयता कैसे मानी जा सकती है। अगर सरकार फिर भी इस बिल को लाना चाहती है तो एमएसपी को अनिवार्य रूप से कानून बनाकर लागू कर दें ताकि कोई भी व्यापारी किसान के ऊपज को समर्थन मूल्य से कम दर में खरीदता है तो उसके ऊपर कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की होगी।

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह किसानों की बर्बादी बिल साबित होकर अंधे युग की शुरुआत है।

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