Sports | इस पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन को तोड़ने पड़ रहे हैं पत्थर, मनरेगा में काम करने को हुए मजबूर

नई दिल्ली: कोरोना का कहर सब पर टूट रहा है। क्या आम क्या खास हर वर्ग आर्थिक रूप से परेशान हो गया है। भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रह चुके राजेन्द्र सिंह धामी पर भी इसका गहरा असर पड़ा है।

कोरोना वायरस के कारण आम जनता सहित खिलाड़ियों पर भी गहरा असर पड़ा है। राजेंद्र सिंह धामी भी इन्हीं में से एक हैं जिन्हें लाॅकडाउन के कारण खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और अब अपना घर चलाने के लिए मनरेगा में काम कर रहे हैं। धामी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं और 2017 मे भारत-नेपाल-बांग्लादेश त्रिकोणीय व्हीलचेयर क्रिकेट सीरीज में भारत का नेतृत्व किया था।

लॉकडाउन के कारण राजेंद्र सिंह धामी को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं अपना घर चलाने के लिए व मनरेगा में काम करने के लिए मजबूर हो गए हैं। आपको बता दें कि राजेंद्र ने इतिहास में मास्टर डिग्री ली है और साथ ही वह भी बीएड भी कर चुके हैं, बावजूद इसके उन्हें मनरेगा में काम करना पड़ रहा है। मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि क्रिकेट में रुचि रखने वाले दिव्यांग बच्चों को मैं व्हीलचेयर से क्रिकेट खेलने की कोचिंग देता था। लेकिन लाॅकडाउन होने के कारण अब कोचिंग संस्था भी बंद हो गई है। जिसके कारण मुझे अपने गृह ग्राम पिथौरागढ़ में आकर रहना पड़ रहा है।

यहां माता-पिता के अलावा एक बहन और छोटा भाई है। जिनकी गुजर-बसर करने के लिए मुझे मनरेगा में काम करना पड़ रहा है। राजेंद्र सिंह ने बताया कि इसके पहले उन्होंने गुजरात के होटल में भी काम किया था लेकिन लाॅकडाउन में यह नौकरी भी छूट गयी। इसलिए मनरेगा में पत्थर तोड़ने का काम करने के लिए मजबूर हो गया।

बता दें राजेन्द्र ने क्रिकेट कप्तान के तौर पर अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए मलेशिया बांग्लादेश और नेपाल जैसे कई देशों का दौरा किया है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग की मदद के लिए आगे आए हैं जिसमें सोनू सूद भी हैं। उनके अनुसार उनके गृह ग्राम के लोग भी उनकी मदद के लिए आगे आए हैं लेकिन यह मदद उनके जीवन जीने के लिए नाकाफी है इस मुश्किल समय में भी उन्होंने हौसला ना हारे हुए कहा है कि मुश्किल दौऱ जरूर है लेकिन मुश्किल वक्त भी निकल जाएगा।

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