UP Chunav | चौथे चरण के चुनाव में इस दिग्गजों की साख लगी है दांव पर, हारने पर जानिए क्या होगी इनकी स्थिति

लखनऊ: यूपी में जिन नौ जिलों में आज चौथे चरण का मतदान चल रहा है, उनमें बांदा, फतेहपुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, पीलीभीत और उन्नाव शामिल हैं। इन जिलों की 59 सीटों पर कुल 624 प्रत्याशी मैदान में हैं। भले ही वोट इन प्रत्याशियों के लिए पड़ेंगे, लेकिन इस चुनाव में इन प्रत्याशियों के अलावा कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। जानिए इसमें कौन-कौन शामिल है?

पहले जान लीजिए कितने वोटर्स करेंगे फैसला?
चौथे चरण में कुल 2.13 करोड़ मतदाता 624 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। मतदाताओं में 1.14 करोड़ पुरुष और 99 लाख महिला हैं। इस बार प्रत्याशियों में 91 महिला भी किस्मत आजमा रही हैं। इस चरण में 24643 मतदेय स्थल और 13817 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए 57 सामान्य प्रेक्षक, 9 पुलिस प्रेक्षक तथा 18 व्यय प्रेक्षक तैनात किए गए हैं। 

प्रत्याशियों के साथ इन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर

सोनिया गांधी : कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती रायबरेली की सीटों पर जीत हासिल करने की है। पिछली बार रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस के कब्जे में गईं थीं, लेकिन इस बार दांव उलटा है। रायबरेली की विधायक अदिति सिंह ने कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा का दामन थाम लिया है। ऐसे में सोनिया और कांग्रेस की पूरी टीम वापस इस सीट को जीतना चाहेगी। 

राजनाथ सिंह : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद भी हैं। ऐसे में लखनऊ की सभी नौ सीटों के अलावा आस-पास यानी रायबरेली और सीतापुर की सीटों को भी जीताने का दबाव है। यही कारण है कि रक्षामंत्री पिछले दो महीने के अंदर करीब 15 दिन लखनऊ और आस-पास के जिलों में सभाएं कर चुके हैं। 

स्मृति ईरानी : यूं तो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद हैं, लेकिन अमेठी से सठे रायबरेली में भी उनकी काफी हनक है। राहुल गांधी को अमेठी से हराने के बाद स्मृति की जिम्मेदारियां बढ़ गईं हैं। ऐसे में रायबरेली की सभी पांच सीटों पर भाजपा की जीत स्मृति की छवि को और मजबूत बना सकती है। 

प्रियंका गांधी : रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी ने केवल एक बार वर्चुअल रैली के जरिए प्रचार किया, लेकिन उनकी बेटी और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने खूब समय दिया। यही कारण हे कि रायबरेली और आस-पास की सीटों को जीतवाने का प्रियंका पर भी काफी दबाव है। 

साध्वी निरंजन ज्योति : केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति फतेहपुर से सांसद भी हैं। साध्वी पर फतेहपुर की सभी सीटों को जीतवाने का दबाव तो है ही, साथ में बांदा की सीटों की जिम्मेदारी भी साध्वी पर है। साध्वी हमीरपुर की रहने वाली हैं, ऐसे में उनका असर बांदा में भी काफी देखने को मिलता है। 

अजय मिश्र टेनी : केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी लखीमपुर खीरी से सांसद भी हैं। पिछले दो महीने से वह काफी चर्चा में हैं। टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। विपक्ष ने इस मुद्दे को न केवल लखीमपुर खीरी में, बल्कि पूरे प्रदेश में जोरशोर से उठाया है। ऐसे में टेनी पर लखीमपुर खीरी की सीटों को जीताने का काफी दबाव है। 

कौशल किशोर : केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद हैं। ऐसे में लखनऊ की सीटों को जीतवाने का बोझ उनपर भी है। कौशल के परिवार के दो सदस्य खुद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में ये चुनौती और भी बढ़ जाती है। 

नरेश अग्रवाल : राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता नरेश अग्रवाल की साख भी इस चुनाव में दांव पर है। हरदोई से उनके बेटे नितिन अग्रवाल खुद मैदान में हैं। ऐसे में नरेश हर हालत में यह सीट अपने बेटे को जीतवाना चाहेंगे। 

प्रत्याशी हारा तो इन नेताओं की साख का क्या?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 – फोटो : अमर उजालाराजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह बताते हैं कि हर चुनाव से राजनीतिक हस्तियों की साख भी जुड़ी होती है। चुनाव की हार-जीत से राजनीतिक दल के बड़े नेताओं को फायदा नुकसान उठाना पड़ता है। उसी तरह जिस क्षेत्र में चुनाव हो रहे हैं, वहां से जुड़े बड़े नेताओं की साख भी चुनाव से जुड़ी होती है। राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, साध्वी निरंजन ज्योती, नरेश अग्रवाल, अजय मिश्र टेनी जैसे नेताओं के क्षेत्र में ही चुनाव हो रहे हैं। ये नेता संबंधित क्षेत्र के सांसद भी हैं। 2024 में यहां लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में इन नेताओं पर यहां की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतवाने का दबाव भी है। 

2017 में क्या हुआ था?
जिन नौ जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग चल रही है, उनमें से 50 पर पिछली बार यानी 2017 भाजपा ने जीत हासिल की थी। एक सीट भाजपा के गठबंधन वाली अपना दल (सोनेलाल) ने जीती थी। बाकी, दो सीटों पर कांग्रेस, चार पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी के खाते में भी दो सीटें गई थीं। हालांकि, बाद में सपा, कांग्रेस और बसपा के एक-एक प्रत्याशी भाजपा के साथ आ गए थे। इस बार भी वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

ये हैं दस सबसे हॉट सीटें

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 – फोटो : अमर उजाला1. हरदोई : 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले नितिन अग्रवाल इस बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। नितिन को योगी सरकार ने विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया था। नितिन के पिता राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल हैं। नितिन के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अनिल वर्मा और बहुजन समाज पार्टी ने आशीष सिंह सोमवंशी को मैदान में उतारा है। 

2. सरोजनी नगर : लखनऊ की सरोजनी नगर सीट इस बार सबसे चर्चित है। यहां से भाजपा ने ईडी के जॉइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को मैदान में उतारा है। राजेश्वर ने हाल ही में वीआरएस लेकर भाजपा जॉइन की है। राजेश्वर सिंह को टिकट देने के लिए भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काट दिया। राजेश्वर सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अभिषेक मिश्र को मैदान में उतारा है। अभिषेक सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बसपा ने मोहम्मद जलीस खान और कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को मैदान में उतारा है। 

3. लखनऊ पूर्व : राजधानी लखनऊ की लखनऊ पूर्व सीट से योगी सरकार के कद्दावर मंत्री आशुतोष टंडन मैदान में हैं। आशुतोष भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार रहे लालजी टंडन के बेटे हैं। आशुतोष के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अनुराग भदौरिया को मैदान में उतारा है। अनुराग समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। बसपा की तरफ से आशीष कुमार सिन्हा और कांग्रेस ने मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है। पिछली बार यह सीट आशुतोष टंडन को जीत मिली थी।

4. पुरवा : उन्नाव की पुरवा सीट चर्चा में है। यहां से मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा इमरान राणा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। उरूसा के खिलाफ भाजपा ने अनिल सिंह, सपा ने उदय राज और बसपा ने विनोद कुमार को टिकट दिया है। उन्नाव की ही सदर सीट भी चर्चा में है। यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक पंकज गुप्ता पर फिर से भरोसा जताया है, जबकि सपा ने अभिनव कुमार और बसपा ने देवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। 

5. लखनऊ कैंट : सूबे की राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट भी काफी चर्चा में है। यहां से योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक इस बार मैदान में हैं। बृजेश ने पिछली बार लखनऊ मध्य से चुनाव जीता था। इस बार उनकी सीट भाजपा ने बदल दी है। बृजेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गांधी, बसपा ने अनिल पांडेय और कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2017 में यह सीट भाजपा के लिए डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने जीती थी। 2019 में रीता जोशी लोकसभा सांसद चुन ली गईं, इसके बाद हुए उपचुनाव में यहां से भाजपा के सुरेश तिवारी विधायक चुने गए थे। 

6. तिंदवारी : बांदा की तिंदवारी सीट भी इस बार चर्चा में है। यहां से 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बृजेश प्रजापति ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। बृजेश को इस बार सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने यहां से रामकेश निषाद को मौका दिया है। बसपा की तरफ से जयराम सिंह और कांग्रेस ने आदिशक्ति को टिकट दिया है। 

7. बिंदकी : फतेहपुर की बिंदकी सीट भी यूपी की सियासत में चर्चा का विषय है। यहां से योगी सरकार में जेल मंत्री जय कुमार सिंह जैकी चुनाव लड़ रहे हैं। जैकी भाजपा की गठबंधन वाली अपना दल (सोनेलाल) के टिकट पर मैदान में हैं। जैकी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने रामेश्चर दयाल, बसपा ने सुशील कुमार और कांग्रेस ने अभिमन्यु सिंह को टिकट दिया है। 2017 में यह सीट भाजपा के खाते में थी। तब यहां से करण सिंह पटेल विधायक चुने गए थे। 

8. हुसैनगंज : फतेहपुर की हुसैनगंज सीट से इस बार भाजपा ने योगी सरकार में कृषिराज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी भैया को टिकट दिया है। रणवेंद्र पिछली बार भी इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं। योगी के मंत्री के खिलाफ घेरेबंदी के लिए समाजवादी पार्टी ने उषा मौर्या, बहुजन समाज पार्टी ने फरीद अहमद और कांग्रेस ने शिवाकांत को टिकट दिया है। 

9. रायबरेली : कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली सीट से भाजपा ने इस बार कांग्रेस की ही बागी विधायक अदिति सिंह को मैदान में उतारा है। अदिति ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता था। अदिति सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने राम प्रताप यादव, बसपा ने मोहम्मद अशरफ और कांग्रेस ने मनीष चौहान को टिकट दिया है। 

10. ऊंचाहार : रायबरेली की ऊंचाहार सीट भी चर्चा के केंद्र में है। यहां से भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्या को टिकट दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने 2017 में इस सीट पर जीत दिलाने वाले अपने विधायक मनोज कुमार पांडेय पर फिर भरोसा जताया है। बहुजन समाज पार्टी ने अंजली मौर्या और कांग्रेस ने अतुल सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया है।

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