Movie Review | गणित की यह जीनियस जीत लेगी आपका दिल, मानव कम्प्यूटर की असाधारण जिंदगी को जानने का दिलचस्प अनुभव है “शकुंतला”

नई दिल्ली: विद्या बालन महिला केन्द्रित फिल्मों के लिए जानी जाती है और आज रिलीज हुई उनकी फिल्म शकुनतला देवी उसी में शुमार होती है। यह फिल्म मानव कम्प्यूटर कही जाने वाली शकुनतला देवी की बायोपिक है और विद्या ने इस फिल्म में उनके किरदार को बखूबी निभाया है। उनकी बेटी के किरदार में साथ देती सान्या मल्होत्रा जान डाल देती हैं।

क्या है कहानी

फिल्म दक्षिण भारत में पैदा होने वाली शकुंतला देवी पर बेस्डह है, जिसने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा। पर अपने गणित के पैशन के चलते उसने कई स्टेज शो किए। शकुनतला बचपन से ही सुपरवूमेन बनना चाहती थी। सामान्य जिंदगी जीना उसे पसंद नहीं था इसलिए वह लंदन चली जाती हैं। उसकी लाइफ में टर्न तब आता है जब वह मां बनती है। स्वतंत्र जिंदगी जीने वाली शकुनतला परिवार के बीच पीसने लगती है। आखिर में वह कैसे अपनी जिंदगी और पैशन को जीती हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है।

शकुनतला के जीवन के हर पहलू को दिखाती है फिल्म

फिल्म की कहानी की सबसे खास यह है कि सिर्फ शकुंतला देवी पर ही खत्म नहीं होती है। इसमें उनके जीवन में गणित के महत्व, मां-बेटी के इमोशन और जिंदगी की कहानी चलती है। कहानी के दो भाग है जिसमें एक ओर शकुंतला है तो दूसरी ओर अनु बनर्जी की भी कहानी है। अभिनय की बात करें तो फिल्म की जान विद्या बालन ही हैं। विद्या ने शकुनतला के किरदार को घोट कर पी लिया है। उनका चेहरा हर इमोशन में छाप छोड़ जाता है। उनकी बेटी के किरदार में सान्या मल्होत्रा ने जान डाल दी है। अमित साध के हिस्से में ज्यादा कुछ नहीं आया है जबकि शकुंतला देवी के पति के किरदार में जीशु सेनगुप्ता काफी जमते हैं।

ये थी कमियां

बायोपिक होने से कहानी में में प्रयोग करना कम हो जाता है। यही वजह है कि फिल्म मनोरंजक के हाई स्तर को नहीं छू पाती। कहानी बोरिंग नहीं है पर मनोरंजक भी नहीं है। फोर मोर शॉट्स प्लीज जैसी वेब सीरीज बनाने के वाली अनु ने महिला पक्ष को उभारने में कोई कमी नहीं छोड़ी है पर लेकिन भावनात्मक वाले में मामले वह हल्की-सी कमजोर लगती हैं। अनु फिल्म के मोनो लॉग को और बेहतर बना सकती थीं।

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