Raipur | बस्तर के सौंदर्य से रूबरू कराने इस शिक्षिका ने लालटेन की रौशनी में लिख डाली 14 किताबें, 4 किताबों को SCERT ने लाइब्रेरी में किया शामिल

रायपुर: बस्तर का सौंदर्य वहां की परंपरा व संस्कृति हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश पर्यटन स्थल तो बस्तर में ही हैं। पर कई सालों से नक्सली साया होने की वजह से लोगों का वहां जाना कम हो गया है। ऐसे में बस्तर की सुंदरता, वहां के खान-पान और संस्कृति से रूबरू कराने के लिए राजधानी की एक शिक्षिका ने लालटेन की रौशनी में बस्तर पर 14 किताब लिख डाली है।

शिक्षिका का नाम रजनी शर्मा है और वह वर्तमान में सुरजन शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाती हैं। वह मूलतः जगदलपुर की रहने वाली हैं। रजनी ने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग बीजापुर में 1987 में हुई थी। बस्तर के ही अलग-अलग क्षेत्रों में वह 2001 तक पढ़ाती रही। इस दौरान उन्होंने अधिकांश समय आदिवासियों के साथ बिताया और अपने अनुभवों को किताब की शक्ल दी। उनकी किताबों में आदिवासियों की जिदंगी से जुड़े हर पहलु हैं।

रजनी ने बताया कि उनकी चार किताबें बस्तर के लोक नृत्य और अलंकार, अनोखा बस्तर और अनोखे पर्व, पंचशिल्प और बस्तर, बस्तर के भित्ति चित्र व समाधि स्तंभ को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने अपनी लाइब्रेरी के लिए चुन ली गयी हैं। इन किताबों के माध्यम से स्कूली बच्चे बस्तर के बारे में बेहतर तरीके से जान सकेंगे। साक्षरता पर आधारित चार किताबों को साक्षरता विभाग ने साक्षरता अभियान में शामिल किया है।

रजनी ने बताया कि बस्तर की होने की वजह से उन्हें हल्बी, गोंडी और मुरिया तीनों की बोलियां आती थी। जिसके कारण आदिवासियों से बात करना आसान हो गया। वह पढ़ाने के लिए स्थानीय बोली का ही प्रयोग करती थी। वहीं अपने स्वरचित गीतों, हल्बी के लोकगीत, छत्तीसगढ़ी संवाद आदि के माध्यम से बच्चों को समझाती थीं। आपको बता दें कि डा. बलदेव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार से सम्मानित रजनी ने कोरोना काल में एससीईआरटी के लिए 23 पाठ रिकार्ड किए। ये आडियो पाठ बुल्टू एप में मौजूद हैं, जिसका फायदा दूरस्थ अंचलों के बच्चों को मिल रहा है।

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